एसओ महिला थाना मीरा कुशवाहा एवं दुष्कर्म का केस दर्ज कराने वाली महिला सिपाही के खिलाफ अपहरण समेत गम्भीर आरोपों पड़ी याचिका
एसपी व डीआईजी ने इंस्पेक्टर नीशू तोमर की पत्नी की अर्जी ठुकरा दिया तो उसने कोर्ट की शरण ले लिया। बलात्कार के आरोपी इंस्पेक्टर नीशू तोमर की पत्नी ने अपने पति के अपहरण कर हत्या की आशंका जताते हुए साजिश व अपहरण समेत अन्य आरोपो में सीजेएम कोर्ट में याचिका दाखिल कराई है । मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर 5 नवंबर को नगर कोतवाल से रिपोर्ट तलब की है । पीड़िता कुसुम ने बीते 22 सितंबर की घटना का जिक्र करते हुए पति के अपहरण की आशंका जताई है। परिजनों के मुताबिक 22 सितम्बर की शाम से इंस्पेक्टर नीशू किसी प्रकार से संपर्क में नहीं आये हैं । न ही ड्यूटी स्थल श्रावस्ती भी नहीं है पहुंचे,अपने अधिवक्ता से भी उनका संपर्क नहीं हुआ। 22 सितम्बर की देर शाम इंस्पेक्टर नीशू तोमर को दौड़ाकर महिला थाने ले जाया गया था। पुलिस विभाग ने इस संदर्भ में सूचना जारी की थी कि उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था। उसके बाद वापस चले जाने एवं साक्ष्य संकलन व विधिक कार्यवाही प्रचलित होने की सूचना दी गई थी।
23 सितम्बर को नीशू तोमर की पत्नी ने उच्चाधिकारियों को पत्र देकर अपने पति के वापस न आने की बात कहकर शिकायत की। पत्नी ने पुलिस पर एक लाख रुपये रिश्वत लेने का भी आरोप लगाया था। शिकायत पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पत्नी ने महिला थाना पुलिस की अभिरक्षा में आने के बाद संदेहास्पद तरीके से नीशू तोमर के गायब होने एवं थाना प्रभारी मीरा कुशवाहा समेत अन्य जिम्मेदारों की भूमिका को लेकर सीएम व मानवाधिकार आयोग सहित अन्य से शिकायत किया। मामले को संज्ञान लेते हुए उच्च स्तरीय जांच टीम बैठाई गई , जिसकी जांच सीओ सिटी को दी गई थी । लेकिन जांच महज दिखावे तक सीमित रही , अंत में कुसुम न्यायालय की शरण में पहुंच गई।
बता दें कि 14 जुलाई को महिला सिपाही ने कोतवाली नगर में नीशू तोमर के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया था। आरोपी इंस्पेक्टर नीशू तोमर ने कहा था कि महिला सिपाही ने मां की बीमारी का बहाना बताकर वर्ष 2020 में रुपयों की मदद थी। पैसे वापस मांगने पर उसने घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया। वहीं नीशू तोमर ने लेन-देन सम्बन्धी कई अभिलेखीय कोर्ट में साक्ष्य में दाखिल किया। बीते 11 अक्टूबर को सीजेएम कोर्ट ने पर्याप्त आधार न बताते हुए अर्जी को कर दिया। उधर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने भी महिला सिपाही की याचिका पर एसपी सुलतानपुर को कड़ा निर्देश दिया है कि कम से कम सीओ रैंक के पुलिस ऑफिसर को विवेचना सौंप दी जाए और आठ सप्ताह के भीतर विवेचना पूर्ण कराए लेकिन स्थिति जस की तस है।
serious-allegations-including-kidnapping-were-filed DocScanner Oct 14, 2022 11-26
Report:- Gyanendra