जेल के अंदर का खूनी खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक के बाद एक आए दिन हो रही मौतें जेल के ऊपर कई सवालिया निशान उठा रही हैं , लेकिन पता नहीं क्यों प्रशासन के जुबान पर ताला लगा है या प्रशासन ने अपनी आंखें बंद कर ली है.
सरकार को ना तो कैदियों की मौत से कोई फर्क नहीं पड़ता है और ना ही कैदियों का दुख दर्द सुनाई पड़ता है . क्या हो गया है योगीराज में सरकारी आला अफसरों को?
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]बहराइच सलाखों के पीछे खूनी खेल[/penci_blockquote]
अभी हाल में ही 3 मौतें हुई हैं उसके बाद कि यह चौथी मौत हैं. एक पुरुष कैदी की मौत पेट दर्द का बहाना बता कर हुई. एक महिला की मौत जो कैदी थी और एक विचाराधीन मामले में बंद थी उसकी मौत को TB व सांस फूलने की बीमारी को बता कर बात को टाल दिया गया.
लेकिन इस बार क्या कहना है जेल प्रशासन का? क्या एक बार भी कोई नई कहानी तैयार कर रहा है?
यह ऐसे ही मौतें होती रहेंगी आखिर कौन है इन मौतों का जिम्मेदार?
यह कैदियों को जेल के नाम पर श्मशान भेजा जा रहा है. यह जेल प्रशासन इतना कमजोर और लचीला हो गया है कि उसे कैदियों की देखरेख में भी दिक्कत हो रही है.
सलाखों के पीछे कौन हैं? आखिर क्यों मिलती है मौत?
यदि ऐसी कोई बात है तो वह लिखित में क्यों नहीं प्रशासन तक पहुंचा रहा? या यह कहा जाए कि कैदियों के मरने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. कैदी केवल एक अपराधी है और उन्हें मरने के लिए जेल भेजा जाता है.
इस खूनी खेल में और कोई शामिल है यह कोई रहस्य है. कब उठेगा इस खेल का पर्दा? या अभी और मौतें होनी बाकी हैं?
इस बार क्या बयान देते हैं जेलर यह देखना है युसूफ को न्याय कैसे मिलता है ?
उनके परिवार जनों का कहना है की युसूफ की तबीयत खराब होने की खबर रात्रि को दी गई और ठीक उसके आधे घंटे बाद यह युसूफ को मृतक बता दिया गया. परिजनों का कहना है की मृतक के गले पर निशान था लेकिन जेल प्रशासन इन बातों से इंकार कर रहा है. सच्चाई क्या है यह सामने आना बाकी है.
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