समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपना समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव ने ऐलान किया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर उनका मोर्चा चुनाव लड़ेगा। शिवपाल के इस ऐलान के बाद से साफ़ है कि लोकसभा चुनावों में सपा के लिए उनसे निपटना आसान नहीं होने वाला है। इस मोर्चे को मजबूत करने के लिए शिवपाल समर्थकों ने तैयारियां शुरू कर दी है। समर्थकों के अनुसार, समाजवादी पार्टी के 1 दर्जन से ज्यादा विधायक अखिलेश का साथ छोड़कर सेक्युलर मोर्चे में शामिल हो सकते हैं।
कई विधायक छोड़ सकते हैं सपा :
शिवपाल यादव के समर्थकों अनुसार लगभग एक दर्जन विधायक सपा का साथ छोड़कर शिवपाल के साथ जा सकते हैं। इनमें कुछ तो सपा के स्थापना काल से पार्टी से जुड़े हुए हैं। हालाँकि इसे लेकर कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आयी है लेकिन शिवपाल यादव के समर्थकों का दावा है कि सपा के कई विधायक जल्द ही पार्टी छोड़कर सेक्युलर मोर्चे का दामन थाम सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनावों के पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को ये सबसे बड़ा झटका साबित हो सकता है। सपा इन दिनों लोक सभा के तैयारियों में जुटी हुई है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सपा के कई विधायक हो सकते हैं शिवपाल के सेक्युलर मोर्चे में शामिल[/penci_blockquote]
एक समय थे मुलायम के उत्तराधिकारी :
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए शिवपाल यादव सबसे शक्तिशाली नेता बन कर उभरे थे। वे मुलायम सिंह यादव के सहज उत्तराधिकारी भी माने जाने लगे थे लेकिन 2012 में अखिलेश यादव के सपा का मुख्य चेहरा बन कर उभरने से शिवपाल की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा था। हालाँकि अखिलेश शासनकाल में भी वह समानांतर सत्ता का केंद्र बने रहे और अपने लोगों को मजबूत करते रहे थे। शिवपाल ने सेक्युलर मोर्चा बनाकर न सिर्फ सपा बल्कि बसपा, कांग्रेस और भाजपा के असंतुष्ट नेताओं को एकजुट होने का मौका दिया है। शिवपाल यादव को सपा की हर कमजोरी अच्छे से पता है और वे उसका फायदा उठाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ना चाहेंगे।
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