शब-ए-बारात यानी गुनाहों से निजात की रात मंगलवार को अल्लाह की बारगाह में गुनाहों की माफी के लिए हाथ उठे। इस रात को होने वाले जलसे और इबादत के लिए राजधानी की मस्जिदों और कर्बला में जमकर सजावट की गई थी। इस रात मुसलमान अपने पुरखों को पुरुषों देने के लिए कब्रिस्तान जाते हैं। शहर के सभी कब्रिस्तानों में कब्रों की मरम्मत कई दिनों से चल रही थी।
मंगलवार को आधी रात के बाद शिया समुदाय ने 12वें इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम की विलादत का जश्न मनाया। शब-ए-बारात में लोग पूरी रात इबादत में गुजरे। शहर की मस्जिदों में इबादत के लिए खास व्यवस्था की गई थी। टीले वाली मस्जिद, दरगाह शाहमीना स्थित मस्जिद, अकबरी गेट स्थित मस्जिद, एक मीनारा, बिल्लौचपुरा स्थित मस्जिदे उमर, डालीगंज स्थित शाही मस्जिद, अमीर खान मस्जिद, भांडो टोला स्थित चमन वाली और मदार बख्श मस्जिद, फैजाबाद रोड स्थित डोर वाली मस्जिद, दरिया वाली मस्जिद समेत राजधानी की सभी मस्जिदों में इबादत की गई। शहर की कुछ मस्जिदों में नमाजियों के लिए चाय पर सहरी की भी व्यवस्था की गई थी।
अजीरा डाल इमाम को भेजा पैगाम
गोमती नदी में अजीरा डालने का सिलसिला मंगलवार देर रात से शुरू हो गया। शिया समुदाय के लोग गोमती में अजीरा डाल अपनो को पैगाम भेज रहे थे। साथ ही बेहतर जिंदगी के लिए मुराद भी मांग रहे थे। अजीरा डालने के लिए मेहंदी घाट, पक्का पुल, दरिया वाली मस्जिद के पास कड़े इंतजाम किए गए थे।
बजरे की जियारत को उमड़ी अकीदमंदों की भीड़
शाम ढलने के साथ ही गोमती नदी में बजरा रोशन हो गया। शब-ए-बारात की रात में गोमती नदी की लहरों पर डोलते हुए बजरे की जियारत करने के लिए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा। अंजुमन जहूर-ए-इमामत कमेटी की ओर से मेहंदी घाट, गऊ घाट पर बजरे की जियारत कराई गई। नावों को जोड़कर बनाए जाने वाले बजरे को लाइटों,फूलों से सजाया गया था। नाव पर ही महफिल का आयोजन किया गया। इसमें शायर अपने कलाम से इमामे जमाना को नजराना-ए -अकीदत पेश कर रहे थे।