राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले में एक ऐसा पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय है, जिसे प्रशासन द्वारा साल 2002 में जर्जर घोषित किया गया था, मगर घोषणा के 16 साल बीत जाने के बावजूद आज तक ना तो बिल्डिंग के लिए जमीन मुहैया कराई गई और ना ही जर्जर बिल्डिंग का मरम्मत कार्य करवाया गया.
16 साल पहले ही कंडम घोषित:
वहीं प्रशासन की इस ढीले रवैये से कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारी दहशत में कार्य करने को मजबूर हैं. आलम ये है कि बरसात होने पर बिल्डिंग की छत टपकने लगती है, जहां पर रखीं सरकारी फाइलें व कागजात सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था नहीं है.
पुलिसकर्मी मजबूरन कागजात को बचाने में अपने आप को असमर्थ महसूस करते हैं. बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर कहां और कैसे फाइलों को सुरक्षित रखा जाए ? क्योंकि जर्जर भवन इस तरह भयवाह लगता है कि कहीं भारी बारिश में ढह ना जाए.
क्या है मामला:
बदहाली का दंश झेल रहा हैदरगढ का पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय बाराबंकी प्रशासन द्वारा साल 2002 मे हैदरगढ ब्लॉक में स्थित तहसील भवन, रजिस्टार आफिस और कोतवाली, जिसमें क्षेत्राधिकारी का कार्यालय भी शामिल है, जर्जर घोषित किया गया था.
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=”” font_weight=”bold”]बता दें कि ऐसा ही एक मामला लखनऊ की पुलिस बैरकों का भी Uttarpradesh.Org सामने ला चुका है. जिसकी बदहालियत के चलते खाकी भगवान भरोसे है. [/penci_blockquote]
डर के साए में कार्य करने को मजबूर पुलिस कर्मी:
बावजूद इसके आज तक इसके लिए न तो कोई जमीन अधिग्रहित की गई और न ही किसी बिल्डिंग में इन्हें जगह दी गई. 16 साल से लगातार इसी जर्जर बिल्डिंग में कर्मचारी डर के साये में कार्य करने को मजबूर हैं।
बारिश के समय छत टपकने लगती हैं, जिससे किसी तरह कार्यालय में रखीं फाइलों को बचाया जाता है। ऐसे में यह भी डर बना रहता हैं कि कहीं कोई बडी अनहोनी न हो जाए।
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