शहीद हुए देवरिया के सीआरपीएफ जवान के साथ ही
कई रिश्ते हुए शहीद व कई सपनों ने तोड़ा दम
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में बृहस्पतिवार को जैश-ए-मोहम्मद के एक भीषण फिदायिन हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये और कई अन्य बुरी तरह घायल हो गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार जैश के आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस को टक्कर मार दी, जिसमें कम से कम 40 जवान शहीद हो गये। यह 2016 में हुए उरी हमले के बाद सबसे भीषण आतंकवादी हमला है। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए देवरिया के सीआरपीएफ जवान विजय कुमार मौर्य के साथ ही कई रिश्ते भी शहीद हो गए। कई सपने दम तोड़ गए। बुजुर्ग पिता ने होनहार बेटा खो दिया। पत्नी का सुहाग उजड़ गया। तीन साल की मासूम बच्ची की अभी अपने पापा से पहचान पुख्ता भी नहीं हो सकी थी कि दोनों हमेशा के लिए बिछड़ गए।
- दो मासूम भतीजियों की उम्मीदों की डोर भी एक झटके में टूट गई।
- इन सब की जिम्मेदारी आतंकी हमले में शहीद हुए विजय पर थी।
- भटनी ब्लॉक के गांव छपिया जयदेव के रहने वाले विजय के घर की माली हालत ठीक नहीं है।
- उन्होंने हाल में बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण लिया था।
- इससे उन्होंने गोरखपुर में जमीन खरीदी और बाकी पैसों से गांव का घर दुरुस्त कराया था।
- अब परिवार को चिंता है कि यह लोन कैसे चुकता होगा।
तीन भाइयों व एक बहन के बीच सबसे छोटे थे शहीद विजय
पिता रमायन गांव में ही बटाई ली हुई जमीन पर खेती करते हैं। तीन भाइयों व एक बहन के बीच विजय सबसे छोटे थे। बड़े भाई अशोक गुजरात में निजी कंपनी में काम करते हैं। बहन की शादी हो चुकी है।
- दूसरे नंबर के भाई हरिओम 2008 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए, लेकिन चार साल पहले उनकी भी मौत हो गई।
- इसके बाद भाई की पत्नी और दो बेटियां की जिम्मेदारी भी विजय पर थी। वर्ष 2014 में विजय की शादी हुई।
- उनकी तीन साल की बेटी अराध्या है।
- विजय के जाने से इन सभी के सपनों ने दम तोड़ दिया। 2015 में भी बाल-बाल बचे थे।
पंपोर में भी वर्ष 2015 में तैनाती के समय विजय के वाहन पर हुआ था आतंकी हमला
पंपोर में वर्ष 2015 में तैनाती के समय भी विजय के वाहन पर आतंकी हमला हुआ था। तब उन्हें मामूली चोट आई थीं। पत्नी बोलीं, इतनी शहादतों के बाद भी कुछ नहीं हुआ:विजय की पत्नी विजयालक्ष्मी रात में देवरिया में थीं। गांव पर पिता रामायन को फोन पर बेटे की शहादत की सूचना मिली तो वह पूरी रात बेचैन रहे।
- सुबह हमले की जानकारी मिलने के बाद से विजयालक्ष्मी सुध-बुध खो बैठी हैं।
- पूछने पर विजयालक्ष्मी रोते-रोते सवाल करती हैं,
- आज तक इतने जवान शहीद हुए,क्या हुआ? कुछ भी नहीं। नेता हो या मंत्री, कोई कुछ नहीं करता।
- बस चार दिन शोर होगा, उसके बाद सब शांत हो जाता है, लेकिन हम पर तो जिंदगीभर गुजरती है।
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