Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

शहीद की शहादत के 19 साल बाद भी परिवार को नहीं मिली नौकरी

Ramakant Tiwari family Shahid Jail Superintendent Ramakant Tiwari

Shahid Jail Superintendent Ramakant Tiwari

उत्तर प्रदेश के एक शहीद का परिवार उपेक्षा का शिकार हो रहा है। शहीद की शहादत को यह कैसा सलाम की 19 साल बाद भी उसका परिवार रोजी-रोटी के लिए मोहताज है। शहादत के लिए शहीद का दर्जा मिला और जांबाजी के लिए राष्ट्रपति की ओर से शौर्य चक्र प्रदान कर सलामी दी गई। हम बात कर रहे हैं तत्कालीन जेल अधीक्षक रमाकांत तिवारी की। जेल में शातिर अपराधियों पर नकेल कसने वाले इस जांबाज अधिकारी को राजभवन के सामने गोलियों से बदमाशों ने छलनी कर दिया था। सरकार की ओर से परिवार को सभी सुविधाएं देने के साथ ही नौकरी का वादा किया गया। 19 साल में कई सरकारें बदल गईं, लेकिन अब तक मृतक आश्रित पत्नी और बेटा नौकरी के लिए भटक रहे हैं। शहीद रमाकांत इलाहाबाद के कोराव टाउन एरिया के रहने वाले थे।

जेल में सुधार के लिए चर्चित रमाकांत तिवारी की चार फरवरी 1999 को हत्या कर दी गई थी। वह तत्कालीन जिलाधिकारी सदाकांत के आवास से बैठक कर शाम सात बजे लौट रहे थे। राजभवन के पास पहुंचते ही बदमाशों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर उन्हें छलनी कर दिया था। मामले में बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी, चर्चित छात्र नेता अभय सिंह समेत दर्जन भर से अधिक लोग नामजद हुए थे। पुलिस की लचर पैरवी से वक्त के साथ आरोपित भी बरी हो गए। शहीद की पत्नी आभा तिवारी को क्लर्क तक की नौकरी नहीं मिल सकी। दो जवान बेटे भी बेरोजगार हैं। नौकरी के लिए शहीद का बेटा विवेक तिवारी जेल मुख्यालय से लेकर मुख्यमंत्री आवास, कार्यालय और अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहा है।

शहीद के छोटे भाई श्यामाकांत तिवारी ने बताया कि भाई की शहादत के बाद 26 जनवरी को जेल मुख्यालय द्वारा भाभी आभा तिवारी को भाई की वीरता के लिए राष्ट्रपति का शौर्य चक्र दिया गया था। इसके बाद कोराव टाउन में जहां पैतृक मकान है। उस वार्ड को भी शहीद आरके तिवारी वार्ड के नाम से घोषित किया गया था। श्यामाकांत ने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। परिवार में वृद्ध माता-पिता, दो भतीजे और दो भतीजी हैं। श्यामाकांत ने बताया कि जेल मुख्यालय से भतीजे को ओएसडी पद के लिए प्रस्ताव शासन भेजा गया है, लेकिन अभी तक फाइल शासन में लंबित है।

इस संबंध में एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने बताया कि मामला मेरी जानकारी में नहीं है। पूरे प्रकरण के बारे में मातहत अधिकारियों से जानकारी कर उचित कार्रवाई की जाएगी, ताकि मृतक आश्रित को नौकरी मिल सके। गौरतलब है कि पांच साल पहले मेरठ में शहीद हुए डिप्टी जेलर नरेंद्र द्विवेदी की पत्नी जेल मुख्यालय में हैं ओएसडी। पांच साल पहले प्रतापगढ़ कुंडा में शहीद हुए डिप्टी एसपी जियाउल हक की पत्नी भी ओएसडी हैं। तीन साल पहले वाराणसी में शहीद हुए डिप्टी जेलर अनिल त्यागी की पत्नी भी जेल मुख्यालय में ओएसडी हैं।

ये भी पढ़ें-

ताले से जंजीर में जकड़ी स्ट्रेचर व व्हीलचेयर, बेटी को गोद में लेकर अस्पताल पहुंचा पिता

रायबरेली: वॉल्वो बस पेड़ से टकराई, स्टेयरिंग में दो घंटे फंसा रहा चालक

वसंत कुंज योजना में आज से हटाए जाएंगे अवैध कब्जे

अमेठी: छात्रा के लिए आतंक बने मनचले पर दर्ज हुआ मुकदमा

बलरामपुर अस्पताल में सेहत से खिलवाड़, ओटी में एक्सपायर्ड इंजेक्शन

बलरामपुर अस्पताल में वार्ड ब्वॉय ने लगाया गलत इंजेक्शन, 10 मरीजों की हालत बिगड़ी

लखनऊ जिला कारागार में तिहाड़ जेल की तरह कैदियों से मुलाकात होगी

बाराबंकी: डीसीएम और कार की भीषण टक्कर में चार की मौत, एक घायल

बाराबंकी: अय्यासी का अड्डा बना शिक्षा का मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय

Related posts

मथुरा कांड: आरोपी कर्मियों ने कार्रवाई से पहले मांगे सबूत!

Divyang Dixit
7 years ago

एशिया के सबसे बड़े गाँव तक ले जाने वाली सड़क 3 साल में भी नहीं बनी

Shambhavi
6 years ago

कोरोना पॉजिटिव हुए बीजेपी नेता ने पत्नी की इलेक्शन ड्यूटी ना कटने पर दिया पार्टी से इस्तीफा

Desk
4 years ago
Exit mobile version