उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले जलालपुर थाना क्षेत्र के भेड़ी गांव में मां महेश्वरी देवी के मंदिर में नवरात्र में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी होने से देवी की ख्याति दूर-दूर तक है। जिसके चलते मां के दर्शन को भक्त तेज़ धूप की परवाह किए बगैर दंड वत होकर दर्शन को पहुंचते हैं। आसपास के जिलों के साथ ही मध्यप्रदेश के कई जिलों के श्रद्धालु दर्शन को आते हैं।
52 शक्तिपीठों में से एक है माँ महेश्वरी मंदिर:
बता दें कि माहेश्वरी मंदिर यह स्थान हजारों वर्ष पुराना है। यहां पर जंगल हुआ करता था, उस दौरान यहां पर हजारों वर्ष पूर्व भिंड ऋषि आए, जिन्होंने भेड़ी गांव की स्थापना की।
जब माँ सती के शरीर के 52 टुकड़े हुए थे। उस दौरान पृथ्वी के जिस भाग पर माँ का जो अंग गिरा वो शक्तिपीठ बन गया. माता सती के इन्ही 52 अंगों में से एक अंग भेड़ी डांडा में गिरा था। जिसे माहेश्वरी देवी के नाम से जाना जाता है।
यह स्थान हमीरपुर से 50 किमी दूर स्थित है। हमीरपुर सेबवार जलालपुर होते हुए भेड़ी डांडा गांव स्थित गाँव में माँ का शक्तिपीठ है।
क्या है माहेश्वरी मंदिर की मान्यता:
माँ महेश्वरी विकास समिति के कार्यालय प्रभारी अशोक सह ने इस मन्दिर की मान्यता के बारे में बताते हुए कहा कि एक विधवा मां ने महेश्वरी माता से मनोकामना की कि उसके बेटे की नौकरी लग जाए तो वह एक माह का वेतन माता को दे देंगी।
कुछ महीनों बाद उस विधवा माँ के बेटों को आर्मी में नौकरी मिल गई। उनकी मनोकामना पूरी हो गयी. ऐसे ही न जाने कितने भक्तों की मनोकामनाएं पूरे होने के जीते जागते उदाहरण है।
कहा जाता है कि पांच सोमवार मां के दरबार में आने से आंखों की रोशनी की प्राप्ति होती है।
मंदिर में भक्तों के द्वारा हवन, पूजन, देवीगीत, अचरी और भजन,निरंतर चलती रहती है।