2019 के लोकसभा चुनावों के पहले विपक्ष की एकता की फिर एक बार परिक्षा कैराना के उपचुनाव में होने वाली है। कैराना उपचुनाव भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन के कारण खाली हुई सीट है। यहाँ पर उपचुनाव का कार्यक्रम चुनाव आयोग घोषित कर चुका है। ऐसे में सभी पार्टियाँ अपने प्रत्याशी को लेकर मंथन कर रही है। भाजपा से यहाँ पर हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का उतरना लगभग तय है तो वहीँ विपक्ष अपने प्रत्याशी को लेकर पशोपेश में है। इस बीच विपक्ष के प्रत्याशी को लेकर सियासी गलियारों में नए चर्चा शुरू हो गयी है।
गठबंधन पर है सभी की निगाहें :
कैराना सीट पर होने वाले उपचुनाव के पहले सियासी बिसातें बिछना शुरू हो गई हैं। भाजपा जहाँ अपनी इस सीट पर जीत का दावा कर रही है तो वहीँ विपक्ष के गठबंधन प्रत्याशी पर सभी की निगाहें हैं। विपक्ष भी किसी ऐसे प्रत्याशी को यहाँ उतारना चाहता है जिससे भाजपा के लिए 2019 की राहें मुश्किल हो जाएँ। सपा जहाँ पूर्व सांसद पर दाँव लगाना चाहती है तो वहीँ रालोद जयंत चौधरी को विपक्ष का प्रत्याशी बनाने के पक्ष में है। इस बीच सभी की नजर बसपा सुप्रीमों मायावती के फैसले पर टिकी हुई है।
ये भी पढ़ें: काले झंडे दिखाने के वाले सपाइयों पर डकैती का मुकदमा दर्ज
जयंत चौधरी हैं बसपा की पसंद :
बसपा के एक नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जयंत चौधरी लगातार मायावती के संपर्क में हैं। मायावती चाहती हैं कि 2014 और 2017 के चुनावों में भाजपा को सीधे वोट करने वाले जाट वोटों में सेंधमारी की जाए। मायावती का मानना है कि जयंत चौधरी के मैदान में उतरने और आरएलडी के साथ आने से अगर जाट वोट खिसकते हैं तो 2019 में पश्चिम उत्तर प्रदेश में गठबंधन के सामने भाजपा का टिकना बेहद मुश्किल होगा। हालांकि, अभी भी कैराना सीट पर विपक्ष के प्रत्याशी और गठबंधन में आरएलडी के शामिल होने को लेकर पुख्ता तौर पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी।