सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों पर बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी का समायोजन दद्द कर दिया है. ऐसे में शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद कानपुर में बुधवार 26 जुलाई को शिक्षामित्रो ने कार्य बहिष्कार कर बीएसए कार्यालय का घेराव किया. इस दौरान शिक्षामित्रों ने केंद्र सरकार व् राज्य सरकार से इच्छा म्रत्यु की मांग की है. शिक्षामित्रो ने कहा कि हमने जिदगी के 17 साल इस नौकरी में बिता दिए जो हमारा प्राइम टाइम था ,अब हम कहा जायेगे. जब हम अयोग्य थे तो सरकार ने सभी काम हमसे ही कराये चाहे वह बीएलओ ड्यूटी हो या फिर जनगणना.
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2200 शिक्षामित्रो ने बीएसए कार्यालय का किया घेराव-
- बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द कर दिया.
- गौरतलब हो कि ये फैसला हाईकोर्ट ने पहले ही दे दिया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरक़रार रखा है.
- इस फैसले के बाद शिक्षामित्रो में शोक की लहर दौड़ गई.
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- यहाँ तक कि घरो में चूल्हे तक नही जले.
- ऐसे में नाराज शिक्षामित्रों ने कार्य बहिष्कार करने की घोषणा की.
- घोषणा के बाद आज कानपुर के 2200 शिक्षामित्रों ने बीएसए कार्यालय का घेराव किया.
- इस दौरान बीएसए के सभी अधिकारी वहां से रफ्फूचक्कर हो गए.
17 साल देकर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया-
- शिक्षामित्र विनीत दीक्षित के ने बताया कि हमने 22 सौ रुपये से नौकरी की शुरुआत की थी.
- उस समय प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था खस्ता थी.
- लेकिन हमने अपने 17 साल देकर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया है.
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- अब हमें से ही बाहर निकाला जा रहा है.
- हमारे पास मरने और मारने के आलावा दूसरा रास्ता नही बचा है.
- आने वाले समय में हम उग्र प्रदर्शन करेगे और प्रधानमंत्री व् मुख्यमंत्री समेत राष्ट्रपति का भी घेराव करेगे.
हमने अपनी जिन्दगी का सबसे प्राइम टाइम इस नौकरी को दिया-
- शिक्षामित्र कीर्ति सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारा समायोजन रद्द कर दिया है.
- ऐसे में अब हमारी मांग है कि हमें इच्छा म्रत्यु दे दी जाये.
- हमने अपनी जिन्दगी का सबसे प्राइम टाइम इस नौकरी को दिया है.
- अब हम इस स्थिति में कहाँ जायेंगे और क्या करेंगे.
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- हमारे सामने जान देने के आलावा और कोई रास्ता नही बचा है.
- चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि हम शिक्षामित्रों की समस्याओ का निवारण करेगे.
- लेकिन केंद्र सरकार व् प्रदेश सरकार का अभी तक कोई भी जवाब नही आया है.
- सभी शिक्षामित्रो में इस बात को लेकर खासी नाराजगी है.
हमारे ही अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नही-
- शिक्षामित्र अर्चना तिवारी ने कहा कि हम अपनी समस्याओ को लेकर बीएसए कार्यालय आये थे.
- लेकिन अब हमारे ही अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नही हैं.
- अब हम अयोग्य हो गए है ,जब शिक्षामित्र अयोग्य थे तो उनसे जनगणना व् चुनावी ड्यूटी क्यों कराई.
- हम अयोग्य हैं तो हमसे बीटीसी व् बीएड कर करके आये अध्यापकों का सर्टिफिकेट क्यों वेरीफाई कराया.
- हमने वेरीफाई किया है तो उसे भी निरस्त करें.
- अब हमारी उम्र 40 के पास हो गई है हम क्या करेगे.