2019 के लोकसभा चुनावों के पहले समाजवादी पार्टी में सब कुछ पहले जैसा होता हुआ दिखाई दे रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल और पिता मुलायम सिंह यादव को एकसाथ लेकर चलना शुरू कर दिया है। शिवपाल यादव चुनावों में सपा की हार के बाद से सेक्युलर मोर्चा बनाने की बात करते थे लेकिन राज्य सभा चुनावों के दौरान उन्होंने दावा किया कि सपा में सब कुछ ठीक है। इस बीच लोकसभा चुनावों के पहले शिवपाल यादव ने आखिरकार सेक्युलर मोर्चे का गठन कर दिया है। शिवपाल के इस कदम के नए सियासी मतलब निकलना शुरू हो गए हैं।

समर्थकों ने बनाया है सेक्युलर मोर्चा :

समाजवादी पार्टी के नेता और जसवंत नगर सीट से सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव के समर्थकों ने ‘शिवपाल यादव सेक्यूलर मोर्चा’ के गठन का ऐलान किया है। सेक्यूलर मोर्चा के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने एक पत्र जारी करते हुए मीडिया को बताया कि इस मोर्चे का गठन किया गया है। पत्र में बताया गया है कि 10 जून 2018 को सेक्यूलर मोर्चा का गठन किया गया और मोर्चा की बैठक में फरहत हसन खान को इसका प्रदेश अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव लाया गया है। प्रदेश अध्यक्ष फरहत हसन खान ने कहा कि हम शिवपाल यादव के समर्थक हैं और उनके नाम से मोर्चा बनाया है। उन्होंने साफ किया कि इस मोर्चे का मतलब नहीं कि सपा में कोई फूट है। उन्होंने कहा कि ईद के बाद पूरे यूपी के मंडल प्रभारी, नगर, ब्लॉक और विधानसभा स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर घोषणा की जाएगी।

शिवपाल यादव हैं मोर्चे के संरक्षक :

सेक्युलर मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि इसके संरक्षक शिवपाल सिंह यादव हैं। इसके पहले शिवपाल यादव के समर्थकों ने यूथ ब्रिगेड का निर्माण किया था। शिवपाल सिंह यादव यूथ ब्रिगेड सहित कई अन्य संगठन शिवपाल यादव के समर्थक चला रहे हैं। परिवार में विवाद के बाद शिवपाल सिंह के हासिये पर चले जाने के बाद उनके समर्थकों ने पार्टी से खुली बगावत कर दी थी। हालांकि सेक्युलर मोर्चा के गठन में साफ़ किया गया है कि इसे समाजवादी पार्टी में चल रहे किसी तरह के मतभेद से जोड़कर न देखा जाये।

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