महानगर स्थित भाऊराव देवरस (बीआरडी) में भले ही समय के साथ मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया हो लेकिन यहाँ के डॉक्टर्स की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो सका है। 1962 में जहां अस्पताल में 300 मरीज ओपीडी में आते थे वही अब इनकी संख्या बढ़कर 1500 हो चुकी है। बावजूद इसके डॉक्टरों की संख्या में कोई इजाफा नहीं किया गया है।
54 साल से नहीं बढ़ी डॉक्टरों की संख्या
- महानगर स्थित बीआरडी अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा हैं
- लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है वो आज भी जस की तस है।
- 1962 में जहां अस्पताल की ओपीडी में 300 मरीज आते थे।
- वहीं आज मरीजों की संख्या बढ़कर 1500 हो चुकी है।
- मरीजों की भीड़ से खचाखच भरा रहने वाले बीआरडी अस्पताल
- की इमारत में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं।
- इन दिनों भी पैक्सफेड द्वारा यहां पर काफी काम होना है।
- अस्पताल के छत की टूटी सीलिंग का निर्माण भी जल्द ही किया जाना है।
- ऐसे में अस्पताल के सुंदरीकरण पर भले ही लाखों रुपए व्यय हो रहे हैं
- लेकिन, पिछले 54 सालों में यहां पर तैनात डॉक्टरों की संख्या में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है
- जिसका खामियाजा यहां पर आने वाले मरीजों को लगातार भुगतना पड़ रहा है।
- कम डॉक्टरों के होने से मरीजों को कई घंटे इंतजार करना पड़ता है तब जाकर उनका नंबर आता है।
सामुदायिक केंद्र हुआ करता था बीआरडी अस्पताल
- शायद कम ही लोग जानते होंगे कि ये अस्पताल पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हुआ करता था।
- तब यहां पर आने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन 150 के करीब हुआ करती थी।
- उसके बाद इसके अस्पताल में तब्दील होने के बाद यहां मरीजों की संख्या में इजाफा होता गया।
- आज यहां ओपीडी 1500 हो चुकी है।
- मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एके श्रीवास्तव का कहना है कि यहां पर 1962 से अब तक 12 ही डॉक्टर हैं।
- वहीं सुरक्षाकर्मियों का भी अभाव है।
- ऐसे में अस्पताल में मरीजों को पूरी सुविधाएं देना संभव नहीं हो पाता है।
- मानव संसाधन के बिना यह सब संभव नहीं है।
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