अभी तक आप ने कई नामी बाबाओं के नाम और इनके कारनामें सुने होंगे जो इस समय सलाखों के पीछे सजा काट रहे हैं। लेकिन यूपी में एक ऐसे बाबा हैं जो बेजुबान जानवरों के मसीहा हैं। ये बाबा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो भगवान मानते हैं और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को एक युवा पीढ़ी का योद्धा। (shyam sadhu interview)
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- बाबा की खासियत ये है कि बेजुबानों की रक्षा और जान बचाने के लिए अपनी आधी जिंदगी बिना खाना खाये कुर्बान कर दी।
- इतना ही नहीं इस नेक काम में उनका साथ उनकी दो बेटियां भी दे रही हैं।
- भले ही गौरक्षा के नाम पर तरह-तरह की बातें की जा रही हों।
- गायों के संरक्षण के लिए कई संस्थाएं काम कर रही हों।
- लेकिन ये संस्थाएं सिर्फ फोटो खिंचवाकर खुद को साबित करते हैं कि काम कर रहे हैं।
- लेकिन ये बाबा जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।
- ये हम नहीं बल्कि जिले के हर इलाके में रहने वाले लोग खुद ही बाबा के काम के बारे में बताते नहीं थकते।
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- बाबा के चमत्कारी कामों के बारे में सूचना जब uttarpradesh.org की टीम को मिली तो हमारी टीम ने पूरा दिन बाबा के साथ व्यतीत करके उनके बारे में पूरी जानकारी जुटाई।
- बाबा के बारे में सुनकर आप भी दंग रह जायेंगे।
- तो चलिए बाबा के बारे में आप को कुछ और जानकारी देते हैं, अपनी इस Exclusive रिपोर्ट के जरिये।
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कौन हैं बाबा?
- सबसे पहले तो आप के दिमाग में एक सवाल कौंध रहा होगा कि आखिर ये बाबा हैं कौन?
- तो चलिए सबसे पहले बाबा के बारे में बताते हैं। (shyam sadhu interview)
- दरअसल झारखण्ड के हजारीबाग जिले के बेरमो थाने में 02 जून 1937 को जन्मे कृष्ण कुमार मिश्र वर्तमान समय में यूपी के रायबरेली जिले में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।
- कृष्ण कुमार के मुताबिक, उनके पिता स्व. बल भद्र शरण मिश्र हजारी बाग थाने में दारोगा थे।
- ब्रिटिश शासनकाल में ही कृष्ण कुमार के मन में समाजसेवा की भावना थी तो वह कम उम्र में ही अपने मामा के घर वाराणसी चले आये।
- 8 वर्ष की आयु तक वह अपने मामा जी के घर पर रहे।
- कृष्ण कुमार का पैत्रक गांव गुरुबख्शगंज रायबरेली के बंडे गांव में है।
- यहां वह 30 साल तक रहे।
- उनका एक पुश्तैनी घर रायबरेली के कचेहरी रोड पर सूरज भवन कोठी में है।
- इसलिए वह यहां आकर रहने लगे।
- कृष्ण कुमार जब बड़े हुए तो घरवालों ने उनकी शादी उन्नाव जिले के मौरांवा में दिवाकर दत्त त्रिपाठी की पुत्री सत्यभामा मिश्र के साथ कर दी गई।
- इसके बाद उनके दो बेटियां गीता और अंजली पैदा हुईं। इस समय दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है।
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अनाथ पशुओं की सेवा की तो लोग कहने लगे पागल बाबा
- ससुराल में रहकर कृष्ण कुमार ने अनाथ पशुओं को सेवा करना प्रारंभ कर दी।
- साथ ही उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण और गरीबों की मदद शुरू की।
- इस दौरान उनके इस काम से घरवालों ने काफी विरोध किया।
- सरकारी स्कूल से सेवानिवृत्त पत्नी ने भी पति के इन कामों का विरोध किया तो वह रायबरेली में आकर बस गए। (shyam sadhu interview)
- इस दौरान उनकी छोटी बेटी गीता और बड़ी बेटी अंजली ने उनका साथ दिया।
- जब कृष्ण कुमार ने अनाथ पशुओं की सेवा करना शुरू की तो लोग उन्हें पागल कहने लगे।
- अगर वह चोटिल कुत्ते की सहायता करते थे लोग उन्हें कुत्ता बाबा कहते थे।
- अगर वह गधे की मदद करते तो लोग उन्हें गधा बाबा कहते थे।
- ऐसे ही घोड़ा बाबा, पागल बाबा की भी लोगों ने संज्ञा दी।
- लेकिन इस बीच उन्होंने अपने नाम के आगे से जाति हटाकर अपना नाम श्याम साधू रख लिया।
- श्याम साधु ने बताया कि उनके नेक कामों को जब अख़बारों ने प्रमुखता से छापा तो वह बच गए। वार्ना समाज के लोग उन्हें पागल खाने भेजवाये दे रहे थे।
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गंगा नदी को दिलवाया राष्ट्रीय नदी का नाम
- श्याम साधु ने खास बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने महात्मा गांधी के बाद 49 दिन अनशन करके गंगा नदी को राष्ट्रीय नदी का दर्जा दिलवाया था।
- इतना बड़ा काम करने के बाद भी उस समय मनमोहन की सरकार की तरफ से उन्हें धन्यवाद भी नहीं दिया गया। (shyam sadhu interview)
- इसके अलावा उन्होंने 15 वर्ष पूर्व अंबेडकर की जयंती पर मांग की थी कि जो लोग नाम के आगे से जाति हटाएं उन्हीं को दिया जाये।
- ये खबर भी अख़बारों ने प्रमुखता से प्रकाशित की थी।
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https://youtu.be/VW-6lRH5AbY
क्षेत्र में कर रहे ऐतिहासिक नाम
- भले ही रायबरेली जिले का नाम आते ही लोग कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी की चर्चा जुबान पर आने लगती हो लेकिन क्षेत्रीय जनता श्याम साधू के कामों की तारीफ करते नहीं थकती।
- बाबा ने अब तक कई ऐतिहासिक काम किये हैं।
- इनमें अनाथ पशुओं को दवाएं, पोस्टकार्ड अभियान, फल-सब्जी की माला पहनने का काम करके समाज की एक दिशा बदलने का काम किया है।
- बाबा का पशुओं से इतना लगाव है कि ये तो मौके पर जाकर देखते ही बनता है।
गुलाब जल और फूलों की तुलना से बताई हकीकत
- श्याम साधु ने बताया कई जिस देश में गुलाब जल की एक बूंद को लोग तरसते हों।
- उस देश के नेताओं के लिए हजारों कुंतल गुलाब के फूलों की माला पहनाकर उसे पैरों तले कुचल दिया जाता है। (shyam sadhu interview)
- इससे इतना दुःख होता है कि ये बताया नहीं जा सकता।
- उन्होंने कहा कि जिले के तीन जिलाधिकारियों ने उनके काम को सराहा है।
- लेकिन निकम्मे नेता हमेशा उनके कामों की बुराई करते हैं।
- उन्होंने बताया कि उनके पास में ही स्थित एक सड़क काफी जर्जर है।
- इसे बनवाने के लिए उन्होंने कई बार अभियान चलाया लेकिन नेताओं और अधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
पीएम की आलोचना के लिए 30 लाख की रिश्वत
- समाज सेवी बाबा श्याम साधु ने बताया कि देश के कई बाबाओं ने जनता को लूट-खसोट कर करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाई।
- लेकिन उन्होंने करोड़ों रुपये की संपत्ति बर्वाद करके अनाथ पशुओं की सेवा में लगा दिया।
- उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री की आलोचना के लिए उन्हें विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने 30 लाख रूपये की रिश्वत पेश कर मोदी के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए कहा लेकिन अपने मार्ग पर अडिग रहते हुए उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
अनाथ पशुओं के हैं मसीहा
- साधु श्याम को लोग मंकी मैन (Monkey Man) के नाम से भी जानते हैं।
- वह वानर भोज के लिए भी जाने जाते हैं। (shyam sadhu interview)
- श्याम साधु जैसे ही बंदरों के बीच पहुंचते हैं वैसे ही इन्हें सैकड़ों बंदर घेर लेते हैं।
- वह रोजाना रोटी, चना और गेंहूं इन सैकड़ों बंदरों को खिलाते हैं।
- इसके चलते बंदर बाबा से बेहद प्यार करते हैं।
- बाबा ने बंदरों के झुंड के बीच खाना खिलाने के कई वीडियो भी यू ट्यूब (youtube) पर अपलोड किये हैं।
सैकड़ों अनाथ पशुओं की बचा चुके जान
- श्याम साधु के अनुसार वह अब तक सैकड़ों पशुओं की जान बचा चुके हैं।
- उन्होंने 300 से अधिक गाय, 30 से अधिक बंदर, 150 से अधिक गधे, 5 घोड़े, 4 सुअरों की जान बचाई है।
- घायल बंदर की अगर मौत हो जाती है तो वह हनुमान चौरा नाम से प्रसिद्ध एक स्थान पर ले जाकर श्री राम का नाम लिखे कपड़े में बांधकर दफन कर देते हैं।
- इतना ही नहीं उन्होंने अपने घर को भी कब्रिस्तान बना रखा है।
- यहां कई मृत पशुओं को उन्होंने दफनाया है।
- साथ की घर में ही एक बगीचा बना रखा है यहां कई प्रदेशों के अलावा विदेशी पौधे भी लगे हैं।
- जो बाबा के घर की शोभा बना रहे हैं।
कई लोगों की जान बचाने के लिए कर चुके वानरभोज
- श्याम साधु ने बताया कि जिस तरह हनुमान जी को संकटमोचन के नाम से जानते हैं।
- उसी प्रकार से वानरभोज (बंदरों को खाना खिलाना) से संकट दूर होते हैं।
- उन्होंने बताया कि वह अब तक 14000 से अधिक वानरभोज करा चुके हैं।
- जो अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है।
- इतना ही नहीं बाबा श्याम साधु ने 5000 से अधिक बालभोज (बच्चों को खाना खिलाना) कराये हैं।
- उन्होंने बताया कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रही जय ललिता के लिए उन्होंने वानर भोज किया था तो वह अस्पताल में काफी दिन जिंदा रहीं थीं।
- इसके अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को कैंसर होने के दौरान बाबा श्याम साधु ने वानर भोज कराया और उनकी जान बच गई। (shyam sadhu interview)
- इतना ही नहीं बाबा का दावा है कि उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने, योगी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भी वानर भोज करवाया और इन्हें कामयाबी हासिल हुई।
- बाबा का कहना है कि वह किसी से एक पैसा नहीं लेते जिसे श्रद्धा होती है वह वह बंदरों को खाना खिलाने के लिए थोड़ा अंशदान करके पुण्य कमा सकता है।
- उन्हें पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु मदद भेजते हैं।