2019 के लोकसभा चुनावों की सभी पार्टियों ने तैयारियां शुरू कर दी है। लोकसभा चुनावों के पहले पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाने की मांग उठना शुरू हो गयी हैं। राजनेताओं का मानना है कि एकसाथ चुनाव होने से धन का व्यय कम होगा और जनता को अपना प्रतिनिधि चुनना आसान होगा। हालाँकि इस प्रस्ताव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की सोच भी अलग है। इस बीच बीजेपी के इस प्रस्ताव को समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य दलों का समर्थन मिल गया है।
सपा सहित कई दलों ने किया समर्थन :
देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी को समाजवादी पार्टी, जेडीयू और तेलंगाना राष्ट्र समिति का साथ मिला है। हालाँकि डीएमके ने इसे संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ बताया है। केंद्रीय कानून आयोग ने इस मुद्दे पर दो दिन की बैठक आयोजित की थी, जिसमें सभी राष्ट्रीय और राज्यों की मान्यता प्राप्त पार्टियों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया। सपा का पक्ष रखने पहुंचे रामगोपाल यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी देश में एक साथ चुनाव करवाने के पक्ष में है। अगर राजनेता पार्टी बदलता है या हॉर्स ट्रेडिंग में संलिप्त पाया जाता है तो राज्यपाल को उनपर एक हफ्ते के अंदर ऐक्शन लेने का अधिकार होना चाहिए।
डीएमके ने किया विरोध :
दिल्ली में हुई इस बैठक में डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने बीजेपी के प्रस्ताव का विरोध किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी का ये प्रस्ताव संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। बीजेपी के सहयोगी दल गोवा फॉर्वर्ड पार्टी ने इस प्रस्ताव ऐतराज जताया था। जीएफपी अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने कहा कि उनकी पार्टी नहीं चाहती कि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा हों। ऐसा होना क्षेत्रीय भावनाओं के खिलाफ है।