पूरे देश में शारदीय नवरात्रि 2018 का पर्व बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया। महानवमी के बाद विजय दशमी के दिन मां दुर्गा के विसर्जन से पहले सजा धजा कर सिंदूर लगाया जाता है। फिर उसके बाद उन्हें मिठाई का भोग लगाया जाता है। इस दौरान शादी शुदा औरतें आपस में सिंदूर खेलती हैं और अपने पति की लंबी आयु (दीर्घायु) के लिए प्रार्थना करतीं हैं। इसके बाद मां दुर्गा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। लोग ढाक की ताल पर नाचते झूमते भक्त मां दुर्गा को विदाई देते हैं और अगले साल फिर से आने की प्रार्थना करते हैं। ढाक और आरती माता की आरती के समय और धुनुची डांस के दौरान ढाक बजाया जाता है। इस ढाक की ताल पर भक्त नाचते और झूमते रहते हैं।
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[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सहारा परिवार की महिलाओं ने भी खेला ‘सिंदूर खेला'[/penci_blockquote]
राजधानी लखनऊ स्थित बंगाली क्लब सहित कई जगहों पर सिंदूर खेला 2018 कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कपूरथला स्थित चांदगंज के आजाद चंद्रशेखर पार्क में महिलाओं ने इस रस्म को पूरा किया। इस दौरान सहारा इंडिया परिवार के संस्थापक सुब्रत रॉय सहारा का परिवार भी मौजूद रहा। वहीं रवींद्र पल्ली, बंगाली क्लब सहित कई जगह सिंदूर खेला महिलाओं ने खेला। सभी ने शक्ति की अराधना स्वरूप मां से आशीर्वाद लिया और एक दूसरे को सिंदूर लगाकर खेला खेला। ऐसा माना जाता है कि दुर्गा पूजा के समय मां दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं। नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक उनकी पूजा अराधना होती है। इस दौरान जगह-जगह उनके पंडाल आर्कषक रूप से बनाए जाते हैं जिन्हें लोग दूर-दूर से देखने आते हैं। इसलिए दुर्गा पूजा के अंतिम दिन मां को पंडाल में रीति-रिवाजों के साथ विसर्जन से पहले सुहागिन महिलाएं सिंदूर चढ़ाती हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कुंवारी लड़कियां भी करती हैं यह रस्म [/penci_blockquote]
मान्यता है कि जो महिलाएं सिंदूर खेला प्रथा को निभाती हैं, उनका सुहाग सलामत रहता है। सिंदूर खेला की रस्म केवल शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होती है, लेकिन कुंवारी लड़कियां भी अब इस रस्म को निभाती हैं। ताकि उन्हें अच्छा और मनपसंद वर मिल सके। इस रस्म को निभाते समय पूरा माहौल उमंग और मस्ती से भर जाता है।
Photos and Video Credit – Suraj Kumar
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