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नहर के पास हो सकता है हमलावर जानवरों का ठिकाना

sitapur wild animal may found lake khairabad dogs or fox

सीतापुर/खैराबाद के क्षेत्र में हो रहे आदमखोर जानवरों के हमले के बारे में किसी को नहीं पता कि इन हमलों के पीछे कौन हैं. आईवीआरआई (IVRI) की टीम ने अभी तक किसी भी कुत्ते के पोस्टमार्टम की कोई रिपोर्ट नहीं भेजी है. प्रशासन ने कई कुत्तों को पकड़कर लखनऊ के कान्हा उपवन में भेज दिया गया है, जहां उनके व्यवहार पर नजर रखी जा रही है कि क्या यह कुत्ते हमलावर जानवर के जैसे बर्ताव नहीं कर रहे हैं या नहीं.

खैराबाद के परमेंडी नहर पर हमलावर जानवर के होने की सम्भावना:

आदमखोर जानवर की खोज में लगे अधिकारियों को कुछ सुराग हाथ लगे है. एक एक्सपर्ट ने एक बड़ा खुलासा किया है कि यह जंगली जानवर सीतापुर खैराबाद के पास के परमेंडी ब्लाक में एक सूखी नहर के पास हो सकते हैं.

यह नहर अंग्रजो के जमाने से बनी हुई है. जो तकरीबन 15 से 20 किलोमीटर लंबी है. उसी नहर में कुछ मांदे बनी हुई है, जिन मांदों में यह आदमखोर जानवर अपना आवास बना सकते हैं.

सूखी नहर में करीब दो दर्जन से अधिक मिली मांदे होने की बात कही जा रही है. इस नहर मे काम्बिंग में टीम को कई जगह छोटे जंगली जनावरों के छिपने की जगहें मिली हैं.

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बता दे कि ग्रामीणों के गुस्से के कारण खैराबाद में सैकड़ो कुत्ते मारे जा रहे है, उसके बाद भी ग्रामीण बच्चों पर हमले नही रुक रहे हैं.

मांदों में छिपे है आदमखोर जानवर:

टीम को भरोसा हैं कि भेड़िया/सियार या उनकी क्रॉस ब्रीड जीन्स वाला जानवर ही इस घटना को अंजाम दे रहा है और उसके बाद इन्ही मांदों में छिप जाते है.

वारदातों का पैटर्न से भी यह पता चल रहा है कि नवम्बर से लेकर मई तक 95% वारदातें सूखी नहर से सटी जगहों पर हुई हैं. पिछले साल सितंबर अक्टूबर तक नहर में था, उस दौरान इस तरह की कोई वारदात नहीं हुई. पर नहर के सूखने के बाद से जानवरों के हमले की खबरे आने लगी हैं.

सितंबर -अक्टूबर में सूख गयी थी नहर:

प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. ना ही वह इस बारे में सोच रहे हैं कि सीतापुर खैराबाद में हो रहे आदमखोर जानवर के हमले के सभी जानवरों को पकड़कर उन्हें मार दे या बंधक बना लें. लेकिन प्रशासन इसके विपरीत सिर्फ आम कुत्तों को मार रहा है.

गांव वालों को भी निर्देश दिए गए हैं कि कोई भी अनजान कुत्ता अगर उनके गांव की तरफ दिखे तो उसे घेर कर लाठी-डंडों से मार दिया जाए उसके बाद उनके शवों को गांव वाले पेड़ पर लटका देते हैं तो कोई उन्हें खेतों में गाड़ देता हैं.

नवंबर 2017 से लगभग 300 से ज्यादा कुत्तों के मारे जाने की सम्भावना है. अब सीतापुर खैराबाद में सड़क पर कुत्ते देखने को नहीं मिलते हैं. जिन मांदों का जिक्र हमारे सोर्स ने किया है वो तकरीबन 20 से 25 फिट गहरी हो सकती हैं. जो वास्तविक रूप से कोई भेड़िया यह कोई जंगली जानवर ही बनाता है.

बच्चों पर हमला करने वाले जानवर की अब तक नहीं हो सकी पहचान

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