चारो तरफ शोर है कि सीतापुर के खैराबाद में आवारा कुत्तों का आतंक है। यहां आदमखोर कुत्तों ने करीब एक दर्जन बच्चों को नोचकर मौत के घाट उतार दिया। लेकिन क्या आप को पता है कि कुत्ते इतने वफादार होते हैं कि वह ही बदमाशों और खूंखार जानवरों से अपनी जान पर खेलकर सबकी रक्षा करते हैं। ऐसा ही एक मामला खैराबाद के टिकरिया गांव का है। यहां 11 साल की सावनी चौधरी सुबह करीब साढ़े पांच बजे अपनी सहेलियों के साथ शौच के लिए गई थी। उसी बीच उस पर हमला हुआ।
कुत्ते कभी गर्दन पर वार नहीं करते
बच्ची की दादी फूलमती और बड़ी बहन दामिनी चौधरी ने बताया कि वे गांव के कुत्ते नहीं, बल्कि बाहरी थे। उन्होंने गर्दन पर हमला किया। उन्होंने अपने घर के सामने ही खड़े गांव के एक कुत्ते की ओर इशारा करते हुए बताया कि यह तो सावनी के साथ ही गया था। जब बाहरी कुत्तों ने हमला किया तो इसने सावनी को बचाने का प्रयास किया। उसको भी शिकारी कुत्तों ने घायल कर दिया। उन्होंने कहा कि कुत्ते बहुत बफादार होते हैं, वह कभी गर्दन पर वार नहीं करते। हमला करने वाले जंगली सियार ही हैं, जो झुंड में आते हैं और बच्चों की गर्दन पर ही वार करते हैं। उनकी बनावट एक दम गांव के कुत्ते की ही तरह होती है। शरीर और मुंह थोड़ा बड़ा होता है। इन जंगली सियारों के नुकीले दांत बाहर निकले होते हैं।
वन्यजीव प्राणी भी मान रहे जंगली जानवर कर रहे हमला
वन्य जीव प्रेमियों के अनुसार, ग्रामीण जो बता रहे हैं, उसके अनुसार शिकार करने वाले कुत्ते नहीं हैं। सियार और भेड़िया झुंड में शिकार करते हैं। गर्दन पर हमला करने की प्रवृत्ति जंगली जानवर की होती है। कुत्ता गर्दन पर हमला करके नहीं मारता। ऐसे में वन्य जीव विशेषज्ञों को तय करना चाहिए कि हमला कौन कर रहा है। ऐसे ही गांव के कुत्तों को बंदूक और लाठी डंडों से मारना ठीक नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने रविवार को इलाके के कोलिया टिकरिया गांव जाकर पीड़ित परिवारों से मिलकर हालचाल जाना। उन्होंने कहा कि आर्थक मदद के लिए सरकार से मांग करेंगे। प्रशासन को चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम करें।