उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिला में स्वास्थ्य विभाग में एनएचएम के तहत की गई खरीददारी और गर्भवतियों को दिए गए पैसे में बड़ा घपला ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है। यहां 5,82,07,818 रूपये का भुगतान 13 फर्मों को किया गया, लेकिन इसका कोई लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं है। 31,74,456 रुपये कुछ फर्म अधिकारी व कर्मचारी को बिना बिल वाउचर के कर दिया गया। यही नहीं 23,01,117 रुपये चिकित्सक व 10 कर्मचारियों ने अपने व्यक्तित्व खाते में ट्रांसफर करा लिया। घोटाले की खबर लगते ही मिशन के निदेशक ने डीएम को पत्र लिखकर गवन की धनराशि की वसूली और आरोपियों पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
एनएचएम के तहत जिले की समस्त सीएचसी व पीएससी में स्टेशनरी आपूर्ति व अन्य काम होना था। लेकिन सीएमओ कार्यालय में 13 फर्मों को बिना टेंडर ही 5 करोड़ 82 लाख 7 हजार 818 रुपये उनके खाते में ट्रांसफर कर दिया गया। यही नहीं एमओआईसी डॉ. एस बी सिंह सहित 10 कर्मचारियों ने सरकारी 23,01,117 रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया। विभाग में गबन का खुलासा करते हुए राजधानी के आई ऑडिट टीम ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में कुछ अधिकारी कर्मचारी को बिना बिल वाउचर के 31,74, 456 रुपये देने का मामला पकड़ा।
बिना टेंडर, बाउचर के 57 लाख 30 हजार 517 रुपये निर्माण कार्य, स्टेशनरी व अन्य सामग्री का भुगतान कर दिया। स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारियों ने 23 लाख 1 हजार 117 रुपये अपने निजी खातों में जमा कर लिए। जिसमें सीएचसी मल्हीपुर अधीक्षक एसबी सिंह, बीसीपीएम सिरसिया विनोद श्रीवास्तव समेत कई स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारियों के खाते शामिल हैं। बिना स्पोर्टिंग डाक्यूमेंटस के 48 लोगों के पर्सनल बैंक खातों में 30 लाख 19 हजार 431 रुपये भुगतान कर दिया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एक महिला का साल में दो बार प्रसव दिखाकर किया भुगतान[/penci_blockquote]
ऑडिटरों ने सीएससी इकौना के ऑडिट में पाया कि जेएसवाई के 4 प्रकरण ऐसे हैं जिनमें दो अलग-अलग महिलाओं का एक ही वर्ष में दो बार प्रसव दिखा कर उनके खाते में 1400-1400 रुपए भेजा गया। 25 मई 2017 को सुषमा की डिलीवरी दिखाकर उसे चालान संख्या 051704412904 के माध्यम से भुगतान किया गया। इसी के बाद 17-10-2017 को पुनः इसी महिला का प्रसव दिवाकर एडवाइस नंबर-सी 101708022110 से पुना 1400 रुपये का भुगतान किया गया। जबकि सुनीता नाम की महिला का पहली बार 28 जुलाई 2017 को प्रसव दिखाकर एडवाइस संख्या 071708563951 के माध्यम से 1400 रुपये का भुगतान किया गया। इसी के 2 माह बाद 12 सितंबर 2017 को पुनः इसी महिला का प्रसव दिखाकर एडवाइस संख्या- सी 091705444237 पर 1400 का भुगतान किया गया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एक ही व्यक्ति की हैं भुगतान करने वाली 6 फर्में [/penci_blockquote]
ऑडिट टीम के अनुसार, जिन 13 फर्मों को भुगतान किया गया उनमें से छह में अखंड प्रिंटिंग, अंश इंटरप्राइजेज, आरएन कंस्ट्रक्शन, सार्थक कंस्ट्रक्शन, श्रावस्ती मल्टी सर्विस एंड जनरल सप्लायर का संचालन एक ही व्यक्ति कर रहा है। जबकि हिंद स्टेशनर्स एंड जनरल ऑर्डर सप्लायर व ताजवर जनरल स्टोर सीएमओ ऑफिस में कार्यरत संविदा कंप्यूटर ऑपरेटर के भाई की है। जिसका संचालन अप्रत्यक्ष तौर पर कंप्यूटर ऑपरेटर ही करता है। जबकि आदित्य जनरल ऑर्डर सप्लायर जिले में तैनात पूर्व सीएमओ डॉ. डीके सिंह के रिश्तेदार की बताई जा रही है। जो भुगतान के समय जिला में ही तैनात थे।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्या कहते हैं जिम्मेदार[/penci_blockquote]
इस संबंध में एनएचएम निदेशक पंकज कुमार ने बताया कि ऑडिट के कुछ दौरान कुछ खामियां सामने आई हैं। इसके लिए पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा गया है।यदि गड़बड़ी पाई गई तो दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी। वहीं जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि मिशन निदेशक द्वारा ऑडिट रिपोर्ट भेजी गई है। इसमें 10 अधिकारियों,कर्मचारियों द्वारा सरकारी धन अपने खाते में जमा करने बिना टेंडर के काम कराने अनियमित तरीके से फर्म कर्मचारियों का भुगतान कर सरकारी धन का गबन किया जाना दर्शाया गया है। इसकी जांच की जा रही है जांच होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। किसी भी आरोपी को छोड़ा नहीं जाएगा।
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