भारतीय जनता पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान जारी अपने संकल्प पत्र में कहा था कि बीजेपी कि सरकार आते ही प्रदेश के सभी गैरकानूनी बूचड़खाने बंद कर दिए जायेंगे. ऐसे में बीजेपी सरकार बन्ने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय का वो कसाई वर्ग जिनकी रोज़ी रोटी सिर्फ कसाई खाने पर ही निर्भर करती है खासा परेशान नज़र आ रहा है. इसका कारण सिर्फ इतना है की अगर बूचड़खाने बंद कर दिए गए तो उन परिवारों का क्या होगा जिनकी रोज़ी का एक मात्र श्रोते ही ये बूचड़खाने हैं.
कसाईखाने भले ही बंद करें लेकिन बेरोजगार कसाईयो की रोजी रोटी का इंतज़ाम करे-
- योगी आदित्यनाथ के नेत्रित्व ने आज यूपी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन किया गया.
- ऐसे में बीजेपी के संकल्प पत्र में शामिल प्रदेश के सभी गैरकानूनी बूचड़खाने बंद करने की बात कुछ लोगों की परेशानी का कारण बन गई है.
- ग़ाज़ीपुर जनपद का बरबराहना मोहल्ला है ,जहा पर अल्पसंख्यक परिवार रहते है.
- इनमें से ज्यादातर लोगो की रोजी रोटी पास के बूचड़खाने से जुड़ी हुई है।
- इसी मोहल्ले के मतीन अहमद सूबे के उन सैकड़ो लोगो में से एक हैं जो की कसाई खाने के बंद होने के फरमान से खासे परेशान हैं.
- उनकी परेशानी की वजह साफ़ है, बूचड़खाने से मदीन की रोजी रोटी जुडी है.
- ऐसे में मतीन का ज्यादा समय घर पर बच्चो के साथ बीतता है .
- मायूसी इस कदर उनके जीवन में घर कर गयी है की काम में मन नहीं लगता.
- दुकान तक जाना और जल्दी ही घर वापस आना अब उनकी दिन चर्या का हिस्सा बन गया है.
- सरकार के बूचड़खाने के बंद करने के फैसले ने मदीन को बेरोजगारी के कगार पर खड़ा कर दिया है.
- ऐसे में मतीन की भी अपने साथियों की तरह ही दरकार है.
- मतीन चाहते है की सरकार कसाईखानों को बंद कर दे.
- लेकिन उन जैसे सैकड़ो बेरोजगार कसाईयो के रोजी रोटी का इंतज़ाम करे.
- मतीन के सामने अपने 6 बच्चो और पत्नी के जीवन यापन की चुनौती है.
- ऐसे में मतीन कहते है की बाप दादा के ज़माने से चले आ रहे रोज़गार को बंद कर अब नया काम शुरू करने की कूबत उनमे नहीं है.
- मतीन का कहना है सरकार बूचड़खाने को बंद करने के फैसले वापस ले या फिर रोज़गार के वैकल्पिक जरिया मुहैया कराये.
- मदीन और उनके जैसे तमाम लोग अब इस आस में जी रहे है की शायद सैकड़ो घरों के चूल्हे के बुझने के मसले पर सरकार का दिल पसीजे और रोजगार का कोई और जरिया मयस्सर हो.
- बता दें कि मतीन के साथ ही रहमतुल्ला और कई ऐसे परिवार है जिनकी कई पीढियां इस काम से जुडी हुई है.
- ऐसे में सरकार के सामने ये मामला एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला होगा.
- क्यों की एक तरफ सरकार के सामने जहाँ अपने शपथ पत्र को पूरा करने का संकल्प है.
- वहीँ दूसरी तरफ सरकार को ऐसे लोगों की रोज़ी रोटी के बारे में भी सोचना होगा.
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