किसानों के मसीहा माननीय चौधरी चरण सिंह का सामाजिक योगदान
चौ चरण सिंह जी का जन्म 23 दिसम्बर सन 1902 को चौ मीर सिंह किसान घर, हापुड़ के पास नूरपुर गांव की मड़ैया में हुआ था।चौ चरण सिंह वल्लभगढ़ के शासक राजा नाहर सिंह तेवतिया के वंशज थे।राजा नाहर सिंह साहसी निर्भीक योद्धा ही नही वरन अद्वितीय सूझभूझ के भी धनी थे और यही गुण चौ चरण सिंह में भी थे। चौ साहब जब 6 माह के ही थे इनका परिवार नूरपुर से जानीखुर्द में आकर बस गया और यही चौ साहब की प्राथमिक शिक्षा पूरी हुई।
- चौ साहब ने 1919 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की और उसके बाद आगरा कालेज में प्रवेश लिया।
- इसके बाद चौ साहब में मेरठ कालेज से एलएलबी की परीक्षा पास की।
- इसी दौरान चौ मीर सिंह नेअपना पड़ाव हापुड़ मोदीनगर रास्ते पर पड़ने वाले गांव भदौला में कर लिया।
चौ0 चरण सिंह का सक्षिप्त परिचय
चौ0 चरण सिंह का विवाह रोहतक जिले के चौ धनपत सिंह की पौत्री गायत्री देवी के साथ संपन्न हुआ।चौ साहब ने खेती किसानी और उस से जुड़ी समस्याओं को देखा ही नही वरन जीया था, इसलिये वे सदैव किसान हित मे सोचते रहे।1930 में चौ साहब गांधी जी के आह्वान पर वकालत छोड़ कर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और मेरठ में नमक का कानून तोड़ा जिसके लिए अंग्रेजी सरकार ने चौ साहब की 6 माह की सजा सुनाई।
- 1937 में प्रांतीय सभाओ के लिए हुए चुनाव में चौ साहब छपरौली से चुने गए।
- 1942 भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान चौ साहब को अंग्रेजी सरकार ने 15 माह तक जेल में बंद रखा।
क्या था इनका योगदान
आजाद भारत मे चौ साहब 1947 से 67 तक यूपी सरकार में अनेक मंत्रालयों के प्रभारी रहे। इस दौरान चौ साहब ने जमींदारा खत्मा कानून, चकबन्दी कानून, मंडी समितियों को स्थापना और मंडियों में किसान की उपज के विपणन की व्यवस्था के कानून बनाये।1959 कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में पंडित नेहरू के सहकारी खेती लागू करने के प्रस्ताव का विरोध अकेले चौ साहब ने किया। 1967 में चन्द्रभानु गुप्ता से मतभेद होने पर कांग्रेस पार्टी छोड़ कर अलग दल भारतीय क्रांति दल बनाया और 1967 एवं 1970 में दो बार अल्प समय के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
- आपातकाल के दौरान चौ साहब भी देश के बड़े नेताओं के साथ गिरफ्तार कर लिए गए।
- आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी भारी बहुमत से जीती थी।
- चौ साहब जनता पार्टी की सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री के साथ वित्तमंत्री बने।
किसानों को खुशहाल बनाने पर दिया था जोर
वित्तमंत्री के रूप में चौ साहब ने 40% धन ग्रामीण विकास के लिए देने की व्यवस्था की। इसके बाद 1979 में चौ साहब देश के प्रधानमंत्री बने और पहली बार किसी किसान ने लाल किले की प्राचीर पर झंडा फहरा कर देश को संबोधित किया।
- आज के समय देश के किसान जिन समस्याओ से जूझ रहे है।
- कोई नेता किसानों की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है।