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यूपी में विधान सभा चुनाव 2017 के चुनावी महासमर में राजनीतिक पार्टियां तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं।
- पार्टियों की यूपी के युवा वोटरों पर ज्यादा नजर है।
- इन युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने और पार्टी की योजनाएं बताने के लिए पार्टियों ने एक अलग से फौज बना रखी है।
- यही फौज खास तकनीक के माध्यम से यूपी के वोटरों को लुभा रही है।
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मोबाईल ऐप्स के जरिये हो रहा प्रचार
- यूपी में अधिकतर युवा वोटर हैं।
- 18 से 40 साल तक की उम्र के युवा वोटर आधुनिक तकनीक से लैस हैं।
- इन युवाओं के महिलाओं के पास भी मंहगे मोबाईल फोन और इंटरनेट से जुड़ने के लिए और की कई माध्यम हैं।
- यूपी में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस अपनी जीत का दावा ठोंक रही है।
- वहीं भाजपा और बसपा पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाने का दावा कर रही है।
- ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने सोशल मीडिया के जरिये अपनी योजनाएं और प्रचार जनता तक पहुंचाने के लिए एक खास टीम बना रखी है।
- यह टीम सोशल साइट्स से लेकर पॉपुलर वेबसाइट्स पर भी राजनीतिक पार्टियों के विज्ञापन के पॉपअप डाल कर वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर रहीं हैं।
- बता दें कि वर्तमान समय में सैकड़ों ऐसे ऐप्स हैं जिनमें पार्टियों के पॉपअप आते आप को दिखाई दे जायेंगे।
- इन ऐप्प में सपा का ‘#काम बोलता है’ आता है तो वहीं भाजपा का ‘यूपी में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार’ का ऐड आता दिखाई दे जायेगा।
- डिजिटल युग में कम समय में अधिक लोगों तक अपनी बात को इस माध्यम से पार्टियों की टीम पहुंचा रही है।
पूरी फौज कर रही काम
- जानकारों का कहना है कि सोशल मीडिया और ऐप पर अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए पार्टियों ने बड़ी टीम लगा रखी है।
- पार्टियों ने इस टीम में मीडिया, टेक्निकल, एनिमेशन, ग्राफिक्स, मार्केटिंग के क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को लगा रखा है।
- बताया यह भी जा रहा है कि यह टीम इन ऐप्स का प्रयोग करने वाले यूजर मूड को परख कर ऐड तैयार करके ऐप्स के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं।
- पार्टियों की सोशल मीडिया टीम ज्यादा प्रयोग किये जाने वाले ऐप्स पर यह विज्ञापन डालकर पार्टी की बात पहुंचाती है।
एक बार में लाखों लोगों तक पहुंचती है बात
- एक आंकड़े के मुताबिक, यूपी में 80 प्रतिशत मोबाईल प्रयोग करने वाले युवा हैं।
- इनकी उम्र 45 साल से कम है, यह यूजर इंटरनेट का प्रयोग भी अधिक करते हैं।
- आकंड़े के अनुसार यूपी में 4.6 करोड़ व्हाट्सएप्प यूजर हैं।
- जबकि 1.5 करोड़ से अधिक फेसबुक का प्रयोग करते हैं।
- वहीं अगर ट्विटर की बात करें तो करीब 45 लाख से अधिक लोग इसका प्रयोग करते हैं।
- सोशल मीडिया के माध्यम से एक बार में लाखों युवाओं तक पार्टी की उपलब्धियां पहुंचाई जा सकती हैं।
- इसके जरिये अन्य माध्यमों की अपेक्षा खर्च भी कम आता है।
- सोशल मीडिया पर प्रचार करने का भी कोई समय निश्चित नहीं होता।
- इतना ही नहीं यह विज्ञापन इस माध्यम से देश ही नहीं बल्कि विदेश तक पहुंचाए जा सकते हैं।
मैपिंग के जरिए दिमाग का पता लगाती है टीम
- समाजवादी पार्टी में सोशल मीडिया सेल के हेड अहमद आफताब नकवी के अनुसार, प्रोग्रेमेटिक बाइंग टूल के माध्यम से रियल टाइम में ऐप्स यूजर की लोकेशन, पसंद, और उसकी उम्र का पता लगाकर उसी हिसाब से मोबाइल ऐप पर विज्ञापन प्रदर्शित किये जाते हैं।
- उनका कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटिक होती है।
- इसके लिए एजेंसियों के पास 500 से अधिक विज्ञापन की स्लाइड्स फीड रहती हैं जो उपभोक्ता की पसंद के हिसाब से उन तक विज्ञापन पहुंचाते हैं।
- अधिकतम 20-25 शब्दों का ही इस्तेमाल इन विज्ञापनों में किया जाता है।
- इनके पॉपअप पर क्लिक होते ही पार्टी का पूरा पेज खुल जाता है।
- इस पेज पर पार्टी की पूरी योजनाएं और उनकी पूरी डिटेल होती है।
- उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया मान लीजिये कि अगर कोई लखनऊ का यूजर कोई ऐप खोलता है तो हम समाजवादी सरकार की लखनऊ से जुड़ी विकास योजनाएं उसे दिखाते हैं।
- भारतीय जनता पार्टी की सोशल टीम भी इसी प्रकार काम करती है।
- इसी तर्ज पर बसपा भी अब सोशल मीडिया पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।
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