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जानें, क्या हैं बजट को लेकर समाजसेवी और किसान नेता की राय

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बजट पेश करते हुए अरुण जेटली ने सरकार की योजनायें गिनाते हुए कहा कि इस साल का बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला होगा. वरिष्ठ नागरिकों पर भी ध्यान दिया जायेगा. गुड गवर्नेंस को आधार बनाकर हमारी सरकार काम करती रही है. 7.4 फीसदी विकास दर का अनुमान अगले सत्र में किया जा रहा है. हमारा फोकस गांवों के विकास पर होगा. उज्जवला और सौभाग्य योजना के जरिये बेहतर काम किया जा रहा है.

संसद में आम बजट गुरुवार को पेश कर दिया गया. भले ही सरकार ने बजट के जरिये जनता को 2019 में होने वाले लोक सभा चुनाव के लिए अपने पाले में लाने की कोशिश की हो लेकिन जनता में इसको लेकर मिला-जुला असर देखने को मिल रहा है जबकि विपक्षी दलों सहित कुछ किसान संगठनों ने भी बजट का विरोध किया है.

महिला समाजसेवी ने कहा- अपेक्षा के अनुरूप नहीं है बजट

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बजट पर समाजसेवी महिला जरीन खान ने कहा कि यह अंतिम बजट था, जिस हिसाब से महिलाओं को उम्मीदें थी उस हिसाब से महिलाओं के लिए बजट नही आया. महिलाओं के लिए जो प्रोडक्ट्स हैं उन्हें जीएसटी फ्री करने की उम्मीदें थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है. मध्यम वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए कुछ खास बजट नही आया है.

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कांग्रेस ने बताया आंकड़ों की जादूगरी

जबकि कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता अशोक सिंह ने आम बजट को केंद्र सरकार द्वारा आम आदमी को ठगने का काम किया गया है. उन्होंने कहा कि न किसानों के लिए न युवाओं के लिए और न ही महिलाओं के लिए कुछ किया गया है, सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी की गयी है. कभी चाय के नाम पर ठगते हैं, कभी पकौड़ों के नाम पर ठगते हैं. सरकार के पास सिर्फ साढ़े तीन सौ दिन बचे हैं, इतने दिनों में अब क्या करेगी सरकार.उन्होंने कहा कि 1 करोड़ युवाओं को नौकरी देने का वायदा किया था लेकिन रिजल्ट जनता के सामने है. आम जनता 2019 के चुनाव में इसका जवाब देगी.

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किसान प्रवक्ता का बजट पर बयान

बजट पर बात करते हुए किसान मंच के प्रवक्ता तारा सिंह विष्ट ने कहा कि किसानों के लिए यह बजट काफी लाभदायी है. लेकिन इस बजट का लाभ लेने के लिए किसानों को तो जागरूक करना ही पड़ेगा. साथ ही सरकार को भी योजनाओं का क्रियान्वयन करना पड़ेगा और बिचौलिए से बचते हुए अधिकारियों को भी ईमानदारी से काम करना पड़ेगा. वहीं उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर किसानों मंडियों की आवश्यकता तो है लेकिन आने वाली धान की फसल से पहले मंडियों का निर्माण होगा तभी उसका लाभ किसानों को व्यापक स्तर पर मिलेगा.

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