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सपा की गढ़ मानी जा रही कनौज से पार्टी उतार सकती है लोकसभा में इसे अपना उम्मीदवार

SP announces its candidate for Lok Sabha poll from Kannauj

SP announces its candidate for Lok Sabha poll from Kannauj

सपा की गढ़ मानी जा रही कनौज से पार्टी उतार सकती है लोकसभा में इसे अपना उम्मीदवार

उत्तर प्रदेश में कन्नौज की एक अपनी अलग एतिहासिक पहचान है। दुनियाभर में कन्नौज को इत्र नगरी के तौर पर जाना जाता है। साथ साथ ही कन्नौज को समाजवादियों का गढ़ भी कहा जाता है। मोदी लहर में भी कन्नौज में समाजवादी पार्टी का ही दबदबा रहा है। ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन का कन्नौज पर क्या असर पड़ेगा यह देखने वेहद दिलचस्प रहेगा।मिशन 2019 की तैयारियों में जुटे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कन्नौज से आगामी लोकसभा चुनाव हेतु अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाने के संकेत मिल रहे है।  पूर्व में भी समाजवादी पार्टी(सपा)अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिम्पल यादव के संसदीय क्षेत्र और इत्र नगरी कन्नौज से लोकसभा चुनाव का शंखनाद करते हुये कहा था “सपा और बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के एक होने से भारतीय जनता पाटी (भाजपा) के साथ ही कांग्रेस भी वेहद भयभीत है।

सोशल नेटवर्क के माध्यम से भी तैयार किया जायेगा जीत का खाका

ट्विटर के जरिए गांव वालों को डिजिटल दुनिया से जोड़ने की जरूरत है। इसकी शुरुआत कन्नौज के फकीरपुर गांव से की जा चुकी  है। पूर्व में सपा अध्यक्ष अखिलेश कह चुके है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि देश में सभी स्लॉटर हाउस बंद कर दिए जाएंगे। उस समय ऐसा लगता था कि सभी स्लॉटर हाउस समाजवादी पार्टी के नेताओं के हैं। लेकिन इसमें भाजपा के नेता भी शामिल थे। प्रदेश सरकार ने गाय की रक्षा के लिए शराब पर अतिरिक्त सेस लगा दिया है। साथ ही साथ अखिलेश ने यह भी कहा था कि हमारे साथ आने पर भाजपा के साथ कांग्रेस के अंदर भी काफी भय है।

हमारा काम बोलता है भाजपा का धोखा: अखिलेश यादव

गत दिवसों में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में हमारा नारा होगा ‘हमारा काम बोलता है भाजपा का धोखा’। उन्होंने कहा कि हम लोगों को अब अफवाह फैलाने वालों से सावधान होने की जरूरत है। अफवाह फैलाने यानी भाजपा के लोगों से बच के रहना होगा। हमको उन्नति करनी है तो जाति-पात की बात को छोड़ऩा होगा। अखिलेश के इस ऐलान के पीछे एक सोची समझी रणनीति भी है। कन्नौज संसदीय क्षेत्र राम मनोहर लोहिया की सीट रही है।

BJP की सेंधमारी से SP को 2014 लोकसभा चुनाव व 2017 विधान सभा चुनाव में मिली थी करारी शिकस्त

दुनियाभर में कन्नौज को इत्र नगरी के तौर पर जाना जाता है। कन्नौज को समाजवादियों का गढ़ कहा जाता है। मोदी लहर में भी कन्नौज में समाजवादी पार्टी का ही दबदबा रहा है। कभी समाजवादी पार्टी का गढ़ रही इस सीट पर बीजेपी ने सेंधमारी की है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी सत्ता में होने के बावजूद डिंपल यादव को महज 19 हजार से जीत मिली। यहीं नहीं 2017 के विधान सभा चुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा, कन्नौज की पांच विधानसभा सीटों में से बीजेपी को चार सीट पर जीत मिली जबकि सपा एक सीट ही जीत सकी, वो भी महज 2400 वोटों के अंतर से। हाल ही में संपन्न नगर निकाय चुनाव में भी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।

पूर्व में लगातार 6 बार इस सीट पर रहा था सपा का कब्जा 

कन्नौज सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं का प्रतिशत क्रमशः 16 और 36 फ़ीसदी है। ऐसे में दोनों ही निर्णायक भूमिका में होते हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव की तरह अगर लोकसभा चुनाव में भी मुस्लिम मतदाता अगर सपा से विदके तो अखिलेश की राह मुश्किल हो जाएगी। इतना ही नहीं इस सीट पर ब्राह्मण मतदाता की संख्या भी 15 फीसदी के ऊपर हैं। करीब 10 फीसदी राजपूत हैं, ओबीसी मतदाताओं में लोधी, कुशवाहा, पटेल बघेल का वोट प्रतिशत भी काफी मायने रखता है। गौरतलब है कि 1998 के लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने यह सीट बीजेपी के एमपी चन्द्रभूषण सिंह से छीनी थी। उसके बाद से लगातार हुए 6 चुनाव में सपा यहां जीती। अब इस सीट को 2019 में बचाए रखना अखिलेश के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।

रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी

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