उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आलू किसानों ने जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया है. अपना विरोध जताते हुए किसानों ने लाखों टन आलू मुख्यमंत्री आवास, विधानसभा और राजभवन के बाहर फेंक दिए थे. किसान यूनियन द्वारा आलू फेंकने पर उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा का बयान आया है. उन्होंने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता किसान हैं, 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करना सरकार का लक्ष्य है. किसान यूनियन हो या फिर और कोई भी किसान हो, अगर किसी को कोई समस्या है, तो सरकार के दरवाजे खुले हैं और वो कभी भी आ करके वार्ता कर सकते हैं.

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सपा ने बोला सरकार हमला

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता संजीव मिश्रा का बयान आया है. सरकार का कोई मंत्री का इस प्रकार का आरोप लगाये तो ये बहुत ही अप्रत्याशित है, क्या सरकार की एजेंसी है काफी नहीं है? संजीव मिश्रा ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ठीक से सरकार नहीं चला पा रहे हैं, न इनसे किसान खुश है और न ही बेरोजगार युवा. 9 महीने में कोई काम नहीं हुआ. सरकार किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही है. जिस तरह से किसानों ने आलू फेंके हैं, सरकार को किसानों की समस्याओं को सुलझाना चाहिए.

विधानसभा और सीएम आवास के सामने फेंके आलू

उत्तर प्रदेश के किसान उत्तर प्रदेश की सरकार से बेहद नाराज हैं जिसका असर आज मुख्यमंत्री आवास और विधानसभा के बाहर देखने को मिला. शनिवार की रात मुख्यमंत्री आवास और विधान सभा के सामने किसान, कुन्तलों बोरे आलू फेंक कर चले गए और सोते हुए प्रशासन को पता तक नहीं चला सका। एक तरफ पुलिस और एलआईयू सोती रही और दूसरी तरफ किसान आलू फेकते रहे. इतना ही नहीं राजभवन के सामने भी सड़कों पर आलू पड़ा मिला. किसानों को मंडियों में 4 रुपये प्रति किलो, आलू का रेट मिल रहा है जिससे उनकी लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रही है. किसान उसका वाजिब दाम सरकार से मांग रहे हैं, और किसान चाहते हैं कि आलू का मूल्य कम से कम 10 रूपये प्रति किलो होना चाहिए.

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