2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में सभी पार्टियां लग गयी हैं। इस बार के लोकसभा चुनावों के लिए सपा और बसपा ने भाजपा को रोकने के लिए गठबंधन किया है जिससे 2019 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जा सके। गठबंधन के साथ ही सीटों के बंटवारे पर दोनों पार्टियों में मंथन शुरू हो चुका है जो निश्चित तौर पर आसान नहीं होगा। बसपा सुप्रीमों पहले ही कह चुकी हैं कि समानजनक सीट मिलने पर ही गठबंधन किया जाएगा वर्ना बसपा अकेले चुनाव लड़ने को तैयार है। यूपी की 80 लोकसभा सीटों में 1 सीट ऐसी है जिस पर आकर गठबंधन का पेंच फंस सकता है।
इस सीट पर फँस सकता है पेंच :
उपचुनावों में दोनों दलों की दोस्ती हो जाने से पहले ही बसपा यूपी की कई लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। ऐसी ही एक सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गौतमबुद्धनगर लोकसभा सीट है। यह बसपा सुप्रीमो के गृहजनपद की अंतर्गत आती सीट है। इस लोकसभा क्षेत्र में 3 विधानसभाएं गौतमबुद्धनगर जिले की जबकि 2 विधानसभाएं बुलंदशहर जिले की हैं। ये विधानसभाएं नोएडा, जेवर, दादरी, सिकंद्राबाद और खुर्जा (सुरक्षित) हैं। गौतबुद्धनगर लोकसभा क्षेत्र से बसपा प्रमुख मायावती ने काफी समय पहले ही वीरेंद्र ढाड़ा को प्रत्याशी घोषित कर दिया था। इसके अलावा 2009 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर पार्टी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। वर्तमान में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा यहाँ से सांसद हैं।
ये भी पढ़ें: मूर्तियां लगाने से नहीं मिलता रोजगार और विकास: राजभर
दूसरे नंबर पर रही थी सपा :
2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहाँ से सपा प्रत्याशी नरेंद्र भाटी दूसरे नंबर पर रहे थे। वहीँ बसपा प्रत्याशी सतीश कुमार अवाना तीसरे स्थान पर थे। ऐसे में गठबंधन के नियमानुसार, इस सीट पर पहले सपा का अधिकार है लेकिन सीट बंटवारे में सपा ने इस सीट पर दावा किया तो पेंच फंस सकता है। संभावना कम है कि बसपा सुप्रीमो मायावती अपने गृह जनपद की सीट सपा के लिए छोड़ने के लिए तैयार होंगी। ऐसी स्थिति में सपा-बसपा का गठबंधन खटाई में पड़ सकता है। इस सीट पर सपा भी लगातार अपना प्रत्याशी लड़ाती रही है।