लखनऊ से इन दो दिग्गजों में से एक को सपा लड़ा सकती है लोकसभा का चुनाव
जहाँ एक तरफ सपा व बसपा ने लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर अपनी सीटों की लिस्ट जारी कर दी है। वही यूपी की राजनीती में हलचल सी पैदा हो गई है। लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती और समाजवादी पार्टी (एसपी) चीफ अखिलेश यादव ने गुरुवार को फैसला किया कि सपा 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अब सीटों के लेकर दोनों पार्टियों के बीच फाइनल बंटवारा हो गया है। यह भी तय हो गया है किस सीट से कौन पार्टी चुनाव लड़ेगी। इसी साल जनवरी महीने में लखनऊ में बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन का ऐलान किया था।
- वही राजनीती के आधार पर अगर देखा जाये तो सपा से 2 उम्मीदवारों के नाम सामने आते है।
- जिसमे पहला नाम अशोक बाजपेयी व दूसरा अखिलेश यादव के खास व करीबी माने जाने वाले अभिषेक मिश्रा।
- हालांकि अभिषेक मिश्रा की राजनीती में सक्रियता वेहद कम होने की बजह सभी की निगाहे अशोक बाजपेयी पर टिकी हुई है।
- और उन्हें ही सपा की लखनऊ सीट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है।
गठबंधन में सपा व बसपा मिलकर करीब 75 सीटों पर लड़ेंगी चुनाव
लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उत्तर प्रदेश में गठबंधन करने वाले समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी के बीच सीटों का बंटवारा हो चूका है। दोनों पार्टी मिलकर 75 सीट पर चुनाव लड़ेंगी। बहुजन समाज पार्टी 38 पर तथा समाजवादी पार्टी 37 सीट पर चुनाव लड़ेगी।
- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ लोकसभा सीट पर 1991 से लेकर अब तक बीजेपी का कब्ज़ा रहा है।
- पूर्व पीएम भारत रत्न अटल बिहारी की कर्मभूमि कही जानेवाली लखनऊ संसदीय सीट 1991 में बीजेपी के पाले में आई।
- तब से लेकर 2014 तक इस सीट पर बीजेपी की जीत लगातार जारी है।
लखनऊ सीट से अब तक बीजेपी का सबसे ज्यादा बार रहा है कब्जा
अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट से लगातार पांच बार चुने गए। उनके राजनीतिक जीवन से सन्यास लेने के बाद 2009 में बीजेपी के टिकट से इस सीट पर लालजी टंडन को जीत मिली। अस्तित्त्व में आने के बाद से ही यह लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी की रही है। यहां हुए पहले तीन आम चुनाव लगातार कांग्रेस ने जीते। 1967 में हुए आमचुनावों में निर्दलीय उम्मीदवार आनंद नारायण ने जीत दर्ज की। 1971 में हुए आमचुनाव में कांग्रेस की शीला कौल और 1977 हेमवती नंदन बहुगुणा भारतीय लोकदल के टिकट पर जीतकर लोकसभा पहुंचे।
- 1980 में कांग्रेस (इंदिरा) और 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की टिकट पर शीला कौल ने लगातार दो बार जीत पाई।
- 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने यहां से जीत दर्ज की।
- वे वर्तमान में लखनऊ के सांसद हैं।
- उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस नेता रीता बहुगुणा जोशी को 2,72,749 मतों से हराया था।
- रीता बहुगुणा जोशी 2017 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आ गई थीं। मौजूदा समय में वे योगी सरकार में मंत्री हैं।
जानते है क्या है लखनऊ सीट के जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के मुताबिक लखनऊ जिले की आबादी 45.89 लाख है। जिनमे पुरुषों की आबादी 23.94 लाख और महिलाओं की आबादी 21.95 लाख है। 2011 की जनगणना के अनुसार लखनऊ की कुल आबादी की 71.1 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दुओं की है।
- इसके बाद 26.36 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
- इसके बाद बाकी अन्य हैं।
- अनुसूचित जाति की आबादी 14.3% हैं।
- तो अनुसूचित जनजाति की 0.2%. इसी तरह ब्राह्मण, राजपूत वोटर भी मिलकर करीब 18 प्रतिशत हैं।
- ओबीसी मतदाता 28 फीसदी और मुस्लिम मतदाता करीब 18 फ़ीसदी हैं।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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