2019 लोकसभा चुनाव के लिए प्रयागराज से इसे उतार सकती है समाजवादी पार्टी
प्रयागराज में संगम किनारे शुरू हो रहे कुंभ मेला से दो दिन पहले लखनऊ में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के सियासी संगम का ऐलान कर मायावती और अखिलेश यादव ने गए ढाई दशक में उत्तर प्रदेश की सियासत के सबसे धमाकेदार घटनाक्रम की बुनियाद रख दी है। इसकी गूंज दूर तक जाएगी, यह तय है। लेकिन 2019 में केंद्र में फिर से बीजेपी की सरकार बनने की राह में यूपी की 80 लोकसभा सीटों का यह गठबंधन ही सबसे बड़ा रोड ब्लॉक होगा, इसमें कोई संदेह नहीं। वही अगर प्रयागराज सीट की बात जाये तो समाजवादी पार्टी रेवती रमण सिंह को उतार सकती है अपने उम्मीदवार के रूप में। इनकी पेंट अच्छी मानी जाती है जिसके चलते अटकलों से बाजार गर्म है कि पार्टी रेवती रमण सिंह को ही उतार सकती है प्रयागराज सीट से।
- भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे सांप और नेवले का गठजोड़ भले करार दें
- खास बात यह है कि बीएसपी और एसपी के बीच हुआ यह गठबंधन बराबरी की बुनियादी पर खड़ा किया गया है।
- न सिर्फ दोनों पार्टियों ने आपस में बराबर संख्या में सीटें बांटी हैं बल्कि लखनऊ में हुई।
जाने कितनी मजबूत स्थिति पर है कुंवर रेवती रमण सिंह
कुंवर रेवती रमण सिंह आठ बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। दो बार इलाहाबाद संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से वह लोकसभा पहुंचे थे। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चली बीजेपी की आंधी ने उन्हें पहली बार किसी चुनाव में शिकस्त खाने पर मजबूर किया। उन्हें श्यामा चरण गुप्ता के हाथों पराजित होना पड़ा। इसके बाद भी वे राजनीति में सक्रिय रहे। बेटे कुंवर उज्जवल रमण सिंह को करछना विधानसभा सीट सौंपने के बाद केन्द्र की राजनीति में सक्रिय हैं। सपा में उनकी मजबूत पैठ मानी जाती है। इसका उदाहरण भी मिला जब चुनाव हारने के बाद भी सपा ने उज्जवल को राज्यमंत्री का दर्जा दिया। अब पार्टी खुद उन्हें राज्यसभा भेजने जा रही है।
प्रयाराज में सपा बसपा गठबंधन के बाद आसान नही बीजेपी की राह
जिस प्रेस कांफ्रेंस में मायावती और अखिलेश यादव ने गठबंधन की घोषणा की उसमें बराबरी और एक-दूसरी की भावनाओं का ख्याल रखने की झलक के साथ कई अन्य चीजों में भी दिखीं। भारतीय जनता पार्टी खामोश रहकर सपा-बसपा गठबंधन के नेताओं के पैतरों पर नजर गड़ाए हुए है। पार्टी को इस बात का इंतजार है कि 38-38 सीटें बांटने के बाद सपा और बसपा किन-किन संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार इन दोनों पार्टियों के पूर्व सांसद व अन्य बड़े नेताओं ने सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी है।
- ऐसे में संसदीय क्षेत्रों के बंटवारे के बाद सपा और बसपा दोनों दलों के नेताओं में बड़े नेता बागी होंगे।
- भाजपा उनमें जिताऊ नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करने से नहीं हिचकेगी।
राजनैतिक छोड़ धार्मिक में तीर्थों का राजा है प्रयागराज
इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। इसे ‘तीर्थराज’ (तीर्थों का राजा) भी कहते हैं। अब शहर का नाम प्रयागराज है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है। यहीं सरस्वती नदी संगम में मिलती है। यहां हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है। यहां प्रयागराज उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय है।
- स्वरुप रानी नेहरु अस्पताल, मोतीलाल नेहरु अस्पताल, कमला नेहरु अस्पताल यहां के कुछ अस्पताल हैं।
- प्रयागराज किला, स्वराज भवन, रानी महल यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
- हनुमान मंदिर, हनुमत निकेतन, सरस्वती कूप यहां के कुछ धार्मिक स्थल हैं।
- दिल्ली से प्रयागराज की दूरी 700.7 किलोमीटर है।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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