खीरी सीट से इसे उतार सकती है लोकसभा 2019 का चुनाव में सपा

आम चुनाव 2019 के लिए राजनीतिक दल कमर कस कर चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। देश के सबसे बड़े सूबे में गुरुवार को सपा और बसपा ने उन सीटों को सार्वजनिक किया जहां से उनके उम्मीदवार किस्मत आजमाएंगे।  समाजवादी पार्टी जिन 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

  • उत्तर प्रदेश की 28वीं लोकसभा सीट खीरी इस समय भारतीय जनता पार्टी के पास है।
  • पीलीभीत से सटी इस सीट पर जनता का रुख काफी रोचक रहा है।
  • इस सीट पर पार्टियों ने लगातार तीन-तीन बार जीत दर्ज की है।
  • 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के अजय कुमार मिश्र ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।
राज्यसभा सांसद रविप्रकाश वर्मा की पुत्री ही लड़ सकती है खीरी सीट से लोकसभा का चुनाव

इस सीट को लखीमपुर खीरी के नाम से भी जाना जाता है। डॉ. पूर्वी वर्मा ने एमबीबीएस की शिक्षा ग्रहण करने के बाद प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से मास्टर इन पब्लिक हेल्थ की उपाधि हासिल की। इसके बाद वे पब्लिक हेल्थ में जेएनयू से पीएचडी के साथ सेंटर फॉर अर्बन एंड रूरल डेवलपमेंट के माध्यम से स्वास्थ्य, शिक्षा, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों के सम्मिलित एवं न्यायपूर्ण समाज की रचना के लिए निरंतर कार्य कर रही है। डॉ. पूर्वी वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री बालगोविंद वर्मा व पूर्व सांसद ऊषा देवी वर्मा की पौत्री व सपा के राज्यसभा सांसद रविप्रकाश वर्मा की पुत्री हैं।

आईये जानते है खीरी लोकसभा सीट का इतिहास

आजादी के बाद इस सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए, इन चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की। लेकिन उसके बाद 1962 से 1971 तक यहां कांग्रेस का राज रहा। आपातकाल के बाद 1977 में जब चुनाव हुए तो कांग्रेस को यहां नुकसान उठाना पड़ा और भारतीय लोकदल ने यहां पर जीत दर्ज की। लेकिन अगले ही चुनाव में कांग्रेस ने यहां जबरदस्त वापसी की, 1980, 1984, 1989 में कांग्रेस बड़े अतंर से जीती। 1990 के दौर में चले मंदिर आंदोलन ने यहां भारतीय जनता पार्टी को भी फायदा पहुंचाया, 1991 और 1996 में यहां से बीजेपी चुनाव जीती।

  • हालांकि, मंदिर आंदोलन के बाद ही वर्चस्व में आई समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को अगले ही चुनाव में करारी मात दी।
  • 1998, 1999 और 2000 के चुनाव में समाजवादी पार्टी यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीती।
  • 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और साल 2014 में ये सीट BJP की झोली में चली गई।
आइये जाने क्या है खीरी लोकसभा चुनाव का जातीय समीकरण

हालाँकि यह सीट पूर्व में हुए चुनावो में जातीय समीकरण पर कम ही निर्भर रही पर इस बार यह माना जा रहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में जातीय समीकरण काफी अहम साबित हो सकते है। खीरी जिले की अगर आबादी को देखें तो यहां करीब 20 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं।

  • 2014 के आंकड़ों के अनुसार इस सीट पर कुल 17 लाख वोटर हैं।
  • जिसमें से 9 लाख वोटर पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं।
  • इस सीट के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा आती हैं।
  • जिसमें पलिया, निघासन, गोला गोकरनाथ, श्रीनगर और लखीमपुर आते हैं।
  • 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने ही जीत दर्ज की थी।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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