समाजवादी पार्टी हाथरस से इसे इसे लड़ा सकती है लोकसभा 2019 का चुनाव
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है। यही कारण रहा कि बीजेपी-आरएलडी को यहां लगातार जीत मिलती रही। पिछले चुनावी आंकड़ों के अनुसार, यहां पर करीब 17 लाख से अधिक मतदाता हैं। इनमें से करीब 9.6 लाख पुरुष वोटर और 7.8 लाख महिला मतदाता हैं।
- जैसा पहले से ही तय माना जा रहा था, वैसा ही हुआ।
- सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में हाथरस सुरक्षित सीट सपा के खाते में गई है।
- इसे लेकर अमर उजाला ने 13 जनवरी के अंक में समाचार भी प्रकाशित किया था।
- हालांकि रालोद ने इस सीट पर अंतिम समय तक दावेदारी की लेकिन सपा के वरिष्ठ नेताओं और पुराने समीकरण के आगे रालोद को यह सीट नहीं मिली।
- पिछले छह बार से रनिंग में रही बसपा इस बार इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी।
हाथरस से पूर्व केंद्रीय मंत्री व सपा के वरिष्ठ नेता रामजीलाल सुमन की दावेदारी पक्की
बात यदि सपा प्रत्याशी की करें तो इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री व सपा के वरिष्ठ नेता रामजीलाल सुमन की दावेदारी पक्की मानी जा रही है। भाजपा के खिलाफ प्रदेश में सपा, बसपा और रालोद ने गठबंधन किया है। इस गठबंधन के तहत हाथरस सुरक्षित सीट सपा के खाते में गई है। पिछले दिनों जब बसपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी मनोज सोनी को आगरा सुरक्षित क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया था, तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि यह सीट अब सपा के खाते में जाएगी।
- तब बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय ने यह बात स्पष्ट रूप से कही भी थी।
- हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से बसपा के मनोज सोेनी दूसरे नंबर पर रहे थे
- पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन ने तीसरा स्थान हासिल किया था।
- मोदी लहर में भाजपा के राजेश दिवाकर ने सभी को पटखनी दी थी।
सपा को सीट मिलने से संसय में है सभी
रालोद के प्रत्याशी निरंजन सिंह धनगर को चौथा स्थान मिला था। इस सीट पर हालांकि रालोद ने ऐन वक्त तक दावेदारी की लेकिन पिछले चुनाव में रालोद को काफी कम वोट मिला था और निकटवर्ती मथुरा सीट रालोद के खाते में चली गई तो ऐसे में यह सीट सपा को गठबंधन के तहत दे दी गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजीलाल सुमन की सक्रियता के चलते यह भी तय माना जा रहा है कि सपा जल्द ही उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर देगी।
दूसरे नंबर पर आने वाली बसपा इस बार चुनाव से बाहर
- खुद बसपा और सपा के नेता यही कह रहे हैं।
- यहां यह तथ्य भी दीगर है कि पिछले छह चुनाव में भाजपा या उसके सहयोगी दल यहां से चु्नाव जीतते आए हैं और बसपा दूसरे नंबर पर रही है।
- ऐसा पहली बार होगा कि वर्ष 1996 से इस सीट पर लगातार दूसरे नंबर पर आने वाली बसपा इस बार चुनाव से बाहर रहेगी।
- इसकी वजह यही है कि गठबंधन में इस बार सपा के खाते में यह सीट गई है।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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