समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने आज बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि शायद लोकतंत्र भाजपा नेतृत्व को पसंद नहीं आता है तभी वे विपक्ष के सबसे सबल दल समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं के बारे में बोलते वक्त अपनी सभी मर्यादाएं भूल जाते हैं.
लोकतंत्र बिना विपक्ष कल्पना से परे-
- सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि लोकतंत्र बिना विपक्ष कल्पना से परे है.
- लेकिन इन दिनों तो असहमति की आवाज को कुचलने की ही साजिशें हो रही हैं.
- उन्होंने आगे कहा कि स्थिति यह है कि कोई अपनी पीड़ा बताना भी चाहे तो सुनने वाला कोई नहीं है.
- राजेंद्र चौधरी ने कहा कि बीजेपी राज में अभी 6 महीने ही हुए हैं.
- लेकिन पूरे प्रदेश में असंतोष व्याप्त हो चला है.
- यहां छात्र हो या शिक्षक, महिलाएं हों या व्यापारी उनकी समस्याओं का कोई समाधान नहीं है.
शिक्षकों पर हो रहा लाठीचार्ज-
- राजेंद्र चौधरी ने कहा कि शिक्षकों पर लाठीचार्ज हो रहा है.
- लखनऊ-इलाहाबाद के निर्दोष छात्रों को जेल में यातना दी जा रही है.
- किसानों के हितों की उपेक्षा हो रही है. इससे लोगों में गुस्सा है.
- उन्होंने ये भी कहा कि गोरखपुर से लेकर फर्रूखाबाद तक मासूम बच्चों की मौत पर भी शासन-प्रशासन के शीर्ष पर बैठे माननीयों का दिल नहीं पसीजता है.
काला झण्डा दिखाना है अहिंसात्मक तरीका-
- सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा विरोध में नारे लगाना, काला झण्डा दिखाना या धरना प्रदर्शन करना अहिंसात्मक तरीका है.
- ये जनता का लोकतांत्रिक अधिकार है लेकिन सत्तारूढ़ दल इसे गैरकानूनी मानकर दंडित करना चाहता है.
- उन्होंने कहा कि राज्य में प्रशासनिक व्यवस्था पहले से लचर थी.
- ऐसे में सरकार के व्यवहार से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं.
- चौधरी ने कहा कि राज्य में फर्जी मामलों में विपक्षियों को फंसाया जा रहा है.
- राज्य सरकार उत्पीड़न की कार्रवाई को बढ़ावा दे रही है.
- उन्होंने कहा कि जब बुलडोजर चलाने का एलान होता हैं तो शठे शाठ्यं वाली भाषा बोलते हैं.
- ये अराजकता को ही आमंत्रण है. ऐसे में कानून का राज कहां रह जायेगा?
अखिलेश यादव से सीखा जा सकता है राजनीतिक शिष्टाचार-
- राजेंद्र चौधरी ने कहा कि ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को ज्यादा से ज्यादा लोकतांत्रिक आचरण का परिचय देना चाहिए.
- उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से राजनीतिक शिष्टाचार सीखा जा सकता है.
- उन्होंने कभी रागद्वेश से काम नहीं किया.
- किसी विपक्षी पर बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की.
- उनका अटूट विश्वास लोकतांत्रिक मूल्यों में है.