2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में समाजवादी पार्टी लगी हुई है। इसके पहले कैराना लोकसभा और बिजनौर की नूरपुर विधानसभा पर होने वाले उपचुनाव में सपा की बड़ी परीक्षा है। सपा ने इन दोनों सीटों को जीतने के लिए अपने नेताओं की पूरी फ़ौज लगा दी है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सभी पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश देकर उपचुनाव के तैयारियों में जुट जाने को कह दिया है। इस बीच समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर विधायक को अचानक पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस खबर के सामने आने के बाद पूरी राजनीति में हड़कंप मच गया है।

सपा विधायक हुए गिरफ्तार :

गैर जमानतीय वारंट पर चल रहे अमेठी जिले के गौरीगंज से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने एसीजेएम षष्ठम की अदालत में हाजिर होकर वारंट रीकॉल की अर्जी प्रस्तुत की। अदालत ने इसे स्वीकार करते हुए प्रभारी न्यायाधीश हरीश कुमार के आदेश के बाद सपा विधायक को रिहा करने का आदेश दिया गया। लगातार गैर-हाजिर रहने पर कोर्ट ने सभी आरोपियों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी करने का आदेश दिया था। सपाइयों के धरना प्रदर्शन से जुड़े मामले में जमानती वारंट पर चल रहे 3 आरोपियों ने सीजेएम कोर्ट में सरेंडर कर रिकॉल अर्जी प्रस्तुत की थी। अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया है। कोतवाली नगर थाना क्षेत्र से जुड़े इस मामले में सपा जिलाध्यक्ष रघुवीर यादव समेत 98 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। शुक्रवार को वारंट पर चल रहे आरोपी रामनरेन्द्र यादव, अवधेश यादव व आगाह हैदर ने रिकॉल अर्जी प्रस्तुत की थी।

 

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साल 2008 का है मामला :

गौरीगंज विधानसभा के वर्तमान सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह पर आरोप है कि बसपा सरकार में 23 अक्टूबर 2008 को उन्होंने अपने समर्थको के साथ तत्कालीन सरकार के खिलाफ घेरा डालो, डेरा डालों के बैनर तले जमकर नारेबाजी की एवं सड़क जामकर अव्यवस्था फैला दी थी। इस सम्बंध में तत्कालीन थाना प्रभारी बीएन शुक्ला ने राकेश प्रताप सिंह समेत करीब 4 दर्जन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में राकेश प्रताप समेत अन्य 2011 में जमानत करा चुके है। इस मुकदमें को राजनीति से प्रेरित बताते हुए 2013 में तत्कालीन सपा सरकार ने वापस लेने को मंजूरी दी थी।

 

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