सपा एमएलसी के हस्तक्षेप परिजनों को मिला बेटे का शव,अस्पताल ने कोरोना जाँच के नाम पर एक सप्ताह से रखा था शव
UPORG Desk
शव पाने के इंतज़ार में कई दिनों से दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर थे परिजन।
लख़नऊ। यूपी के सीतापुर जिले के इमलिया सुलतानपुर इलाके के नउवामहमूदपुर गांव के प्रभात कुमार मौर्या दिल्ली में काम करता था।वहां उसकी अस्पताल में मृत्यु हो गयी।
अस्पताल ने कोरोना जाँच के नाम पर एक सप्ताह तक परिजनों को मृतक का शव ही नहीं दिया तो परिजन शव पाने के इंतज़ार में कई दिनों से दर दर की ठोकरे खाते रहे पर बेटे का चेहरा तक न देख सके।
ऐसे में गांव के प्रधान की सूचना पर सपा एमएलसी आनंद भदौरिया के हस्तक्षेप से न सिर्फ प्रभात का शव मिला बल्कि शव गांव भी आ गया जहाँ आज उसका अंतिम संस्कार किया गया।
ऐसा हो सका एमएलसी आनंद भदौरिया द्वारा आप नेता राज्यसभा सांसद संजय सिंह से वार्ता किये जाने के बाद। विदित हो कि सांसद संजय सिंह और Mlc आनंद भदौरिया काफी अच्छे दोस्त हैं ।
आप नेता ने तत्काल अपने तिलक नगर के विधायक सरदार जरनैल सिंह को मौके पर भेजा तथा अस्पताल प्रशासन को कड़ी फटकार लगाकर तत्काल मृतक का शव परिजनों के सुपुर्द कराया।
नेपाल फसे अवनीश की भी की मदद।
इसके अलावा महोली कोतवाली के ग्राम दूलामऊ निवासी अवनीश कुमार भार्गव पुत्र महेंद्र पड़ोसी देश नेपाल के धनगढ़ी में स्थित ईंट भट्ठे पर लॉक डाउन के चलते फंसा था।
इसकी जानकारी होने पर एमएलसी भदौरिया द्वारा नेपाल सरकार से अनुरोध कर उसकी घर वापसी कराई बल्कि बीमार अवनीश को सीतापुर जिला अस्पताल में इलाज हेतु भर्ती भी कराया।
इसके अलावा वाराणसी से बिहार के अररिया तक अपने माँ बाप को ठेलिया पर बैठाकर करीब 550 किलोमीटर का सफर 9 दिनों में तय करने वाला 11 साल के मोहम्मद तबारक की हौसला अफजाई करते हुए 50000 की आर्थिक मदद भी पहुचाई है।
गौरतलब हो कि कोरोना महामारी में गंभीर समस्या से जूझ रहे प्रवासी मजदूरों, कामगारों और वे सभी लोग जो अपने घरों से दूर हैं उनकी घर वापसी कर रहे लोगों के पास अब न तो खाने के लिए भोजन है और न ही घर वापस आने के लिए पैसे।
ऐसी कठिन परिस्थिति में इनके दुःख दर्द को अपना समझा व इनके दुःख दर्द को दूर करने का प्रयास कर रहा है तो वह हैं।
जरुरत मंद लोगों की सेवा में लगे सीतापुर के विधान परिषद् सदस्य।
सीतापुर के विधान परिषद् सदस्य आनंद भदौरिया जो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर उनके नक़्शे कदम पर चलते हुए दिन रात गरीब, मजबूर और जरुरत मंद लोगों की सेवा में लगे हुए हैं।
कोरोना कहर और लॉक डाउन की विषम परिस्थितियों के बीच बहुत से व्यक्ति और सामाजिक संगठन अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहे है ,लेकिन एक परिवार के रूप में पति पत्नी की जोड़ी ऐसे हालात में उम्मीद की एक किरण बनकर आई हो ऐसा गौरव इस जनपद को ही हासिल हुआ है।
,आनंद भदौरिया और उनकी पत्नी डॉक्टर अर्चना सिंह ने जरूरतमंद गरीब और मजलूम लोगो और मजदूरो के साथ ही समाज के सभी वर्गों के लोगो के लिए आगे आकर एक अतुलनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
शकुंतला देवी पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ की समाज कार्य विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर अर्चना इन दिनों ईंट भट्ठों पर काम करने वाली महिलाओं को सफाई और स्वक्छता को लेकर संवेदनशील बनाने का काम कर रही है।
इस कोरोना काल मे इस दम्पति ने आम लोगो के दर्द को बहुत निकट के साथ अनुभव किया और उनकी मदद के लिए आगे आये।
ज़िले में लॉक डाउन के रहते जैसे ही मजदूरो के आने का सिलसिला शुरू हुआ आनंद भदौरिया की टीम उनकी मदद के लिये राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ गई दिन रात उनकी मदद करके उन्होंने एक बड़ी मिसाल पेश की।
अपने यात्रा व्यय के भत्ते को भी सहायता कोष में देने वाले वे प्रदेश के पहले विधयक बने।
अपनी विधायक निधि से ज़िले में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अधिकतम धनराशि देने के साथ ही अपना वेतन तो उन्होंने सहयता कोष में दिया ही अपने यात्रा व्यय के भत्ते को भी सहायता कोष में देने वाले वे प्रदेश के पहले विधयक बने जिसने यात्रा के कूपन की धनराशि भी प्रवासी श्रमिकों के वापसी हेतु सरकार को वापस कर दी।
यही नही मजदूरो की वेदना और उनके दर्द को वो अपने गीतों के माध्यम से साझा करके सरकार और प्रशासन का ध्यान भी लगातार आकृष्ट कराने का काम करते रहे।
वही दूसरी तरफ उनकी पत्नी डॉक्टर अर्चना सिंह ने दिन रात ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मियों के लिए अपने स्तर से ज़िले के सभी 26 थानों को प्रति थाने 20 लीटर और पुलिस कार्यालय के लिए भी इसी तरह से करीब 550 लीटर सेनेटाइजर उपलब्ध कराया।
जिसने इस पूरे ज़िले के पुलिस महकमे की बड़ी मदद की और एक भी कोरोना वारियर ज़िले में संक्रमित नही होने पाया।
इसके अलावा जनपद के सभी अखबार वितरको के सेंटर पर भी पहुँच कर उनको राशन किट बांटने के साथ ही उनका दुख दर्द भी जाना.