चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन हो गया है। छह में से पांच सांसदों ने पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में अलग गुट बना लिया है। इस गुट ने चिराग पासवान को हटाकर पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता चुना है। पांच बागी सांसद पशुपति कुमार पारस, महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला से मिले और पार्टी में ताजा घटनाक्रम पर उन्हें पत्र सौंपा। बागी सांसदों ने लोकसभा में पशुपति कुमार पारस को नया नेता घोषित करने का अनुरोध भी किया। लोक जनशक्ति पार्टी इस समय केंद्र में एनडीए का घटक दल है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 तक लोक जनशक्ति पार्टी और उसके सुप्रीमो चिराग पासवान ने एक के बाद एक चाल चली। इसका परिणाम बिहार विधानसभा में जदयू की कम सीटों के रूप में सामने आया, लेकिन उसके बाद से जदयू अपने एक के बाद एक दांव से लोजपा की झोपड़ी को तहस-नहस कर रहा है। पहले सभी जिलाध्यक्षों को तोड़ा, उसके बाद पार्टी के इकलौते विधायक जदयू खेमे के हो गए और अब छह में से पांच सांसदों ने बगावत कर दी है।
पहले लोजपा की जिला इकाई और बाद में रालोसपा के जदयू में विलय के बाद से ही जदयू की स्थानीय इकाई में सामंजस्य की समस्या चल रही है। अब यदि यह गुट भी जदयू के साथ आ जाता है तो इसमें शामिल नेताओं के समर्थकों को समायोजित करने में परेशानी और बढ़ जाएगी। खासकर वैशाली सांसद वीणा देवी और उनके समर्थकों को। मुजफ्फपुर की पांच विधानसभा सीटें कांटी, मीनापुर, पारू, बरूराज और साहेबगंज वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं। यहां वीणा देवी का अपना प्रभाव है। अभी कुछ दिनों पहले ही जदयू के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार का एक बयान सुर्खियों में आ गया था जब उन्होंने कहा था कि पार्टी के कुछ नेता उन्हें बिना कोई सूचना दिए आयोजन कर लेते हैं। गुटबाजी से जूझ रही जदयू जिला इकाई इस बदलाव को कैसे झेल पाएगी और इसकी जद में आ रहे नेता कैसे अपना वजूद बचा पाएंगे, इसकी चर्चा तेज हो गई है।