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एसएसपी ने बैरिकेडिंग लगवाकर कराई वाहनों की चेकिंग

SSP Checks Vehicles during Traffic Campaign in Lucknow

SSP Checks Vehicles during Traffic Campaign in Lucknow

उत्तर प्रदेश की बात और है लेकिन राजधानी लखनऊ की सड़कें खूनी हो चुकी हैं, ये कहना गलत नहीं होगा क्योंकि पिछले पांच साल के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो सड़क हादसों में 2892 लोग अपनी जान गवां चुके हैं। जबकि सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। अपराध और पुलिस की कार्यशैली की समीक्षा बैठक में हालही में सीएम ने बिगड़ी यातायात व्यवस्था पर सबसे ज्यादा नाराजगी जताते हुए एडीजी ट्रैफिक पर ऐक्शन लेने को कहा था। इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस पर कोई असर नहीं पड़ा है। जिम्मेदार अब तक हादसों पर लगाम कसने का कोई उपाय नहीं तलाश सके हैं।

इसी क्रम में एसएसपी लखनऊ कलानिधि नैथानीने अपराध पर प्रभावी नियंत्रण व पुलिसिंग को प्रभावी बनाने हेतु थाना गोमतीनगर व थाना विभूतिखंड में जनशक्ति की समीक्षा की गई थी, जिस सम्बन्ध में मीटिंग कर संबंधित को आवश्यक दिशा-निर्देश निर्गत किए गए थे। साथ ही कुछ चिन्हित स्थानों जिनमे लोहिया पथ पेट्रोल पंप जियामऊ, फन मॉल के सामने अहियामऊ, विजयीपुर अंडरपास, चिनहट में मटियारी चौराहे पर बैरियर लगाकर चेकिंग करने के दिशा निर्देश दिये गए थे।

एसएसपी द्वारा दिए गए आदेशो की समीक्षा करने के लिए बुधवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ कलानिधि नैथानी ने स्वयं जियामऊ पेट्रोल पंप के पास व फन मॉल के सामने तथा पालीटेक्निक चौराहे पर पहुंचकर बैरियर लगाने वाले स्थानों की चेकिंग की तथा संबंधित पुलिस अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए। एसएसपी ने खुद चेकिंग करवाई और बैरियर लगवा कर स्टैंड बाजो के लिए मुहिम चलाई जिससे की एक्सीडेंट कम हो सकें। इस दौरान सीओ हजरतगंज अभय मिश्रा सहित कई पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।

गौरतलब है कि 19 नवंबर को डालीगंज पुल पर नगर निगम के ट्रक ने बाइक सवार दो युवकों को कुचल दिया। हादसे में दोनों की मौके पर ही मौत हो गई थी। ऐसे दर्दनाक हादसे राजधानी की सड़कों पर तकरीबन रोज ही हो रहे हैं। वर्ष 2016 तक राजधानी में दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र के रूप में 42 ब्लैक स्पॉट चिह्नित थे। पिछले साल हुए हादसों के आधार पर दोबारा हुए सर्वे में ब्लैक स्पॉट 89 हो गए। इन पॉइंट्स पर बीते पांच साल में 7113 दर्दनाक हादसे हुए और 2892 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इतना ही नहीं 4452 लोग गंभीर रुप से घायल भी हुए। इसके बावजूद जिम्मेदार हादसों को रोकने का कोई ठोस उपाय नहीं तलाश सके हैं। आलम यह है कि इसी साल अबतक 1389 हादसों में 500 लोगों की मौत हो चुकी है और 875 में ज्यादा अब भी इलाज करवा रहे हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वर्ष 2018 में हुए हादसे[/penci_blockquote]

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]वर्ष 2017 के सर्वे में चिंहित 89 ब्लैक स्पॉट[/penci_blockquote]

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