उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारियों की लम्बे समय से चली आ रही कैशलेस इलाज की मांग को आखिरकार अखिलेश सरकार ने पूरा कर दिया। इसके लिए यूपी सरकार ने आदेश जारी कर दिया है। अब राज्य के करीब 16 लाख कर्मचारी और पेंशनरों को बिना पैसे के इलाज की सुविधा प्राप्त हो सकेगी।
- मालूम हो कि राज्य कर्मचारी लम्बे समय से कैशलेस इलाज की मांग कर रहें थे।
- पिछले दिनों इसके लिए राज्य कर्मचारीयों ने संयुक्त परिषद के बैनर तले महाहड़ताल भी की थी।
- मुख्य सचिव दीपक सिंघल के साथ बातचीत में सहमति बनने के बाद यह हड़ताल स्थगित कर दी गई थी।
- दीपक सिंघल ने 15 दिनों के भीतर मांग पूरी करने का आश्वासन दिया था।
- कर्मचारी संगठनों और नेताओं ने राज्य सरकार के इस कदम को स्वागत योग्य बताया।
- इसके साथ ही अब अलग-अलग गुटों में इसका श्रेय लेने की होड़ भी मच गई है।
- प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण अरुण कुमार सिन्हा ने इस बारे में जानकारी दी।
- उन्होने बताया कि राज्य कर्मचारियों व सेवानिवृत्त राज्य कर्मचारियों (पेंशनरों) को कैशलेस चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।
- इसके लिए प्रमुख सचिव वित्त की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।
- समिति ने कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने पर सकारात्मक संस्तुति की थी।
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पिछले दिनों हुई थी महाहड़तालः
- वर्ष 2013 में हुई महा हड़ताल के दौरान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से सरकार द्वारा चार मांगे मानी गयी।
- कर्मचारियों को ‘कैशलेस’ इलाज की सुविधा और तहसीलदारों की पदोन्नति खत्म ना करने पर सरकार ने हामी भरी थी।
- इसके अलावा सफाई कर्मचारियों को ग्राम प्रधानों से असम्बद्ध करके उनकी पदोन्नति की नियमावली बनाने और लिपिकों की समय से पदोन्नति में व्याप्त बाधाएं दूर करना शामिल था।
- उस समय सरकार ने इन मांगों पर सहमति जता दी थी, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया।
- जिसके विरोध में विभिन्न विभागों के करीब 16 लाख राज्यकर्मियों ने कामकाज ठप कर दिया।
- कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है।
- आरके निगम ने कहा कि सभी के द्वारा यह मांग 2010 से की जा रही थी, इसलिए यह सभी के प्रयासों का नतीजा है।
- उन्होंने सभी अस्पतालों को इस सुविधा से जोडऩे की मांग की है।