प्रदेश सरकार के वादाखिलाफी के विरोध में बुधवार से शुरू हुई राज्य कर्मचारीयों की संयुक्त परिषद के बैनर तले महाहड़ताल गुरूवार को भी जारी है। प्रदेश के करीब 250 कर्मचारी और शिक्षक संगठनों के करीब 16 लाख से अधिक कर्मचारी आज भी हड़ताल पर हैं।
- लखनऊ में बुधवार को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले बुलाई गई तीन दिन की महाहड़ताल का असर देखने को मिला।
- कर्मचारियों के हड़ताल के कारण सरकार को पहले दिन करीब 800 करोड़ रूपये के राजस्व की हानि हुयी।
- गुरूवार को हड़ताल जारी रहने से आज भी सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
क्या है वजह महाहड़ताल कीः
- वर्ष 2013 में हुई महा हड़ताल के दौरान उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से सरकार द्वारा चार मांगे मानी गयी।
- कर्मचारियों को ‘कैशलेस’ इलाज की सुविधा और तहसीलदारों की पदोन्नति खत्म ना करने पर सरकार ने हामी भरी थी।
- इसके अलावा सफाई कर्मचारियों को ग्राम प्रधानों से असम्बद्ध करके उनकी पदोन्नति की नियमावली बनाने और लिपिकों की समय से पदोन्नति में व्याप्त बाधाएं दूर करना शामिल था।
- उस समय सरकार ने इन मांगों पर सहमति जता दी थी, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया।
- जिसके विरोध में विभिन्न विभागों के करीब 16 लाख राज्यकर्मियों ने कामकाज ठप कर दिया।
- कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है।
- हड़ताल के पहले दिन बेसिक शिक्षा निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, उद्यान निदेशालय, समाज कल्याण निदेशालय, लोकनिर्माण विभाग, श्रम विभाग, परिवहन, कोषागार, कृषि तथा लेखा विभाग के कार्यालय बंद रहे।
- इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में तीन घंटे काम बंद रहा।
मांगे:
- महाहड़ताल में करीब 16 लाख कर्मचारी आज शामिल होंगे।
- उनकी मांगे हैं कि, संविदा सफाई कर्मचारियों के पदों पर नियुक्ति के लिए आरक्षण व्यवस्था को खत्म किया जाये।
- कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शासकीय संकल्प 26 सितबर 1968 के आधार पर की जाये।
- नगर निगम और नगर पालिका के 35 हजार पदों पर सफाई कर्मचारियों को स्थायी करने की मांग की है।
महाहड़ताल में प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सपा प्रमुख सहित मुख्यमंत्री को दी गालियां!
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें