देश में अंग दानकरने की प्रवृति नहीं रही है. मगर पिछले कुछ सालों में अंग प्रत्यारोपण में इज़ाफा हुआ है. आई बैंक और ब्लड बैंक की तर्ज पर काशी में स्किन बैंक खोलने की तैयारी चल रही है. इस बैंक के खुलने से एसिड अटैक के पीड़ितों को खासा फायदा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. प्रत्यारोपित स्किन का इस्तेमाल प्लास्टिक सर्जरी में भी किया जा सकेगा.
प्रदेश का पहला स्किन बैंक होगा:
रोटरी क्लब के सहयोग से इस स्किन बैंक को खोलने की तयारी चल रही है. यह देश का 9वां जबकि प्रदेश का पहला स्किन बैंक होगा. इस बैंक के खुलने से आग से झुलसे लोगों को बचाना आसन हो जायेगा. डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार एक साल में यूपी में करीब डेढ़ लाख लोग आगजनी के शिकार होते हैं। इनमें करीब 30 हजार लोगों की मौत हो जाती है.
दुर्घटना में चमड़ी गवा देने वालों की जान बचेगी:
आग के कारण 80 फीसदी तक झुलसे व्यक्ति को जान बचाने के लिए स्किन की ज़रूरत होती है. दानकर्ता की मृत्यु हो जाने के 8 घंटे तक बॉडी के ऊपर की परत को संरक्षित किया जा सकता है. बर्न केस होने पर इस स्किन इस्तेमाल किया जा सकता है. यह चमड़ी मरीज को हर प्रकार के संक्रमण से बचाती है.
क्या है त्वचा दान:
- मौत के छ: से आठ घंटे बाद तक त्वचा दान किया जा सकता है
- त्वचा को मृतक की जांघ, पीठ या पांव से निकाला जाता है
- पीड़ित के जले हुए हिस्से पर दान की गई त्वचा का इस्तेमाल होता है
- दान की गई त्वचा को 6 महीने तक स्किन बैंक में रखा जा सकता है
- दान के समय त्वचा निकालने वक़्त खून नहीं निकलता
- एड्स, त्वचा रोग से पीड़ित व्यक्ति अपनी त्वचा दान नहीं कर सकता
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