मानवीय संवेदनाओं का परिचय देते हुए समाज सेविका और उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री जूही सिंह ने आज शीरोज हैंगआउट कैफे की एसिड अटैक सर्वाइवर्स को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा दिया है। बता दें कि लखनऊ स्थित शीरोज हैंगआउट की सर्वाइवरस को पिछले तीन महिने से सैलरी नहीं मिली थी। जिसकी वहज से एसिड अटैक सर्वाइवर को खासी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। uttarpradesh.org के माध्यम से जब यह खबर राज्यमंत्री जूही सिंह को हुई, तो बिना देर किये वह तुरंत ही मदद के लिए शीरोज हैंगआउट कैफे पहुंच गई।
हर संभव मदद का वादा :
- जूही सिंह ने तत्काल प्रभाव से शीरोज हैंगआउट की सर्वाइवर्स को पिछले तीन महीनों की पूरी सैलरी देने का आदेश दिया।
- पीड़ितों की मदद में राज्यमंत्री ने तुरंत ही मैनेजमेंट से बात करके कैफे की सर्वाइवर्स को सैलरी दिलाई।
- इसके साथ ही उन्होंने अपनी निधि से कैफे की सर्वाइवर्स को 50 हजार रुपये का अनुदान देने का एलान किया।
- uttarpradesh.org की खबर को संज्ञान में लेकर जूही सिंह बमुश्किल 10 मिनट में मौके पर पहुंच गयीं।
- सैलरी दिलाने के साथ ही जूही सिंह ने एसिड अटैक पीड़ितों को इलाज दिलाने का भी भरोसा दिया।
- जूही सिंह ने इस विवरण में एक इमरजेंसी फण्ड चालित करने को कहा है।
- राज्यमंत्री ने जल्द ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलकर एएमओयू में आ रही समस्याओं के निराकरण की बात कही।
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सीएम की पहल पर लखनऊ में खुला था कैफेः
- ‘शीरोज हैंगआउट’ कैफे के माध्यम से एसिड अटैक पीड़ितों के पुनर्वास की शुरुआत आगरा से हुई।
- यहां एक एनआरआई सम्मेलन में भाग लेने आए मुख्य्मंत्री अखिलेश यादव कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी के साथ इस कैफ़े में आये थे।
- मुख्यमंत्री ने एसिड अटैक पीड़ितों से उनका दुःख दर्द साझा किया था।
- वहीं उसी के अगले दिन सांसद डिंपल यादव भी अपने बच्चों के साथ इन एसिड अटैक पीड़ितों से मिलने आई थीं।
- इसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ में भी ऐसा ही एक शीरोज हैंगआउट कैफे खोलने का निर्णय लिया था।
- इसी साल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ में शिरोज हैंगआउट का उद्घाटन किया था।
https://www.youtube.com/watch?v=dGhkpegqDrw&feature=youtu.be
शीरोज हैंगआउट की कहानीः
- शीरोज हैंगआउट मुख्य रूप से एक कैफे है, जिसे एसिड अटैक सर्वाइवर ही संचालित करती हैं।
- एसिड अटैक सर्वाइवर को हमारा समाज मुख्यधारा में स्वीकार ही नहीं कर पाता।
- उनके साथ बिना उनकी किसी गलती के भेदभाव किया जाता है।
- उनके रूप-रंग की वजह से उन्हें नौकरियां नहीं दी जातीं।
- इस स्थिति से पार पाने के लिए शीरोज हैंगआउट कैफे की शुरुआत की गई।
- सबसे पहले आगरा में दिसंबर, 2014 में इस कैफे की पहली ब्रांच खुली।
- अब तक इसकी लखनऊ और उदयपुर में दो और ब्रांच खुल चुकी हैं।
- भविष्य में देश के अन्य शहरों में भी इस कैफे को खोलने की योजना है।
- जिससे और ज्यादा एसिड अटैक सर्वाइवर को फिर से अपने पैरों पर खड़ा किया जा सके।
- पहली ब्रांच को खोलने के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लिया गया।
- वहीं लखनऊ में दूसरी ब्रांच को खोलने में राज्य सरकार की ओर से जमीन मुहैया करवाई गई।
- इस कैफे से होने वाली आमदनी से एसिड अटैक सर्वाइवर के मेडिकल और कानूनी खर्च वहन किए जाते हैं।