रायबरेली: स्टेशन अधीक्षक पर तत्काल टिकटों में अनियमितता के आरोप
रायबरेली रेलवे स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक रवि रंजन कुमार पर मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक राजेंद्र कुमार पांडे ने अनाधिकृत रूप से तत्काल टिकट जारी करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को लेकर रेलवे विभाग में खलबली मच गई है। (Railway tickets)
आरोपों का विवरण
राजेंद्र कुमार पांडे ने वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक, उत्तर रेलवे, लखनऊ को लिखे पत्र में कहा है कि स्टेशन अधीक्षक रवि रंजन कुमार नियमों को ताक पर रखकर तत्काल टिकट जारी करवा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रवि रंजन ने 3, 14, 18, और 20 नवंबर को आरएस-2 पद पर तैनात मीना वर्मा को बुलाकर खिड़की नंबर 746 से अनियमित रूप से तत्काल टिकट बनवाए। (Railway tickets)
इसके अलावा, पांडे ने आरोप लगाया कि स्टेशन अधीक्षक ने उन पर तत्काल टिकट (Railway tickets) जारी करने का दबाव डाला और जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया और जनपरिवाद कराने की धमकी दी।
पत्र में उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सीआरएस रमेश यादव की अस्वस्थता के चलते उन पर अतिरिक्त कार्यभार आ गया है, जिससे वह दबाव में काम कर रहे हैं। पांडे ने रेलवे विभाग से स्टेशन अधीक्षक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्टेशन अधीक्षक का पक्ष
इस प्रकरण में स्टेशन अधीक्षक रवि रंजन कुमार ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि राजेंद्र कुमार पांडे, जो मूल रूप से अमेठी जिले के निवासी हैं, अक्सर अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरतते हैं। स्टेशन अधीक्षक के अनुसार, तत्काल रिजर्वेशन के समय दो खिड़कियां खुलनी चाहिए, लेकिन पांडे अक्सर केवल एक खिड़की खोलते हैं, जिससे यात्रियों को असुविधा होती है।
स्टेशन अधीक्षक ने यह भी कहा कि जब उन्होंने पांडे को समय पर ड्यूटी करने और प्रक्रियाओं का पालन करने के लिए आधिकारिक नोटिस भेजने की बात कही, तो पांडे ने इसके पहले ही पत्र को मीडिया में वायरल कर दिया। रवि रंजन ने स्पष्ट किया कि वह विभागीय कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार हैं और उन्होंने इस मामले की सूचना उच्च अधिकारियों को दे दी है।
रेलवे विभाग में खलबली
इस विवाद ने रेलवे विभाग के भीतर अनुशासन और कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक ने तत्काल टिकट प्रणाली में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं, वहीं दूसरी ओर स्टेशन अधीक्षक ने पांडे पर ड्यूटी में लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
संभावित कार्रवाई
रेलवे विभाग के उच्च अधिकारी इस मामले की जांच करेंगे और दोनों पक्षों से बयान लेकर उचित कदम उठाएंगे। इस प्रकार की घटनाएं न केवल विभाग की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि यात्रियों की सुविधा में बाधा भी उत्पन्न करती हैं।
यह प्रकरण रेलवे विभाग के कर्मचारियों के बीच आपसी तालमेल और अनुशासन की कमी को उजागर करता है। यात्रियों की सुविधा और विभागीय ईमानदारी को बनाए रखने के लिए ऐसे मामलों में निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है। रेलवे प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस विवाद का समाधान जल्द से जल्द निकाला जाए, ताकि विभाग की साख बनी रहे और यात्रियों को असुविधा न हो।
Report:- Shiva Maurya
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