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एशिया के सबसे बड़े फौजियों के गांव में छात्रों से अवैध वसूली

gahmar Inter College

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस का रुख अख्तियार करने का दावा करती रही है। वहीं आए दिन मीडिया में रिपोर्ट हो रही भ्रष्टाचार की वारदातों से साफ पता लगता है, कि योगी सरकार भ्रष्टाचार को समाप्त करने की कुशल रणनीति बनाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। ताज़ा मामला गहमर इंटर कॉलेज का है। यहां पर छात्रों से टीचरों को वेतन देने के नाम पर और स्कूल बिल्डिंग के नाम पर 500 रुपये की वसूली की जा रही है और नहीं देने पर प्रवेश पत्र रोकने की धमकी दी जा रही है।

जानकारी के मुताबिक, गाजीपुर जिला के गहमर गांव को एशिया के सबसे बड़े गांव का दर्जा दिया गया है। एक वक्त था जब गहमर को फौजियों का गांव कहा जाता था। इसकी वजह यह थी कि इस गांव से सबसे ज्यादा लोग भारतीय सेना में कार्यरत थे। गहमर इंटर कॉलेज के छात्रों का आरोप है कि स्कूल के प्रधानाचार्य प्रतिदिन असेंबली में इस बात का एलान करते हैं कि सभी छात्रों को 500 रुपये स्कूल में जमा कराना अनिवार्य है। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए प्रवेश पत्र नहीं उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रधानाचार्य की इस मांग को छात्रों ने आर्थिक उत्पीड़न बताते हुए शुल्क नहीं देने की बात कही है। वहीं कुछ छात्रों ने अपने भविष्य को अधर में ना डालते हुए 500 रुपये स्कूल में जमा करने में ही अपनी भलाई समझी। वहीं इसके पीछे क्षेत्रीय विधायक सुनीता सिंह का भी हाथ बताया जा रहा है। क्योंकि बताया जा रहा है कि उन्होंने लिखित में पत्र स्कूल प्रबंधक को दिया है जबकि इस पत्र के बाबत प्रधानाचार्य इनकार करते नजर आ रहे हैं।

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्र के सुनिल सिंह सहित कुछ जिम्मेदार अभिभावकों ने स्कूल प्रशासन के इस धन उगाही अभियान को लेकर जिलाधिकारी से लिखित शिकायत की है। प्रधानाचार्य एपी राय से इस प्रकरण में उनका पक्ष जानना चाहा तो प्रधानाचार्य का तर्क है कि जमा किए हुए रक्त रकम से अस्थाई तौर पर नियुक्त शिक्षकों की तनख्वाह दी जाएगी। वहीं इस मामले में गाजीपुर जिलाधिकारी के बाला जी ने कहा कि प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक को जांच की जिम्मेदारी दी है।

अब सवाल यह उठता है कि जब मुख्य परीक्षा मार्च में होनी हो तो समाप्त होते सत्र में अध्यापक की नियुक्ति क्यों की गई। अगर अध्यापक सत्र के प्रारंभ यानी कि जुलाई से अध्यापन का काम कर रहे हैं, तो उन्हें अब तक की मद से तनख्वाह दी जाती रही है। यह सभी सवाल इस बात को स्थापित करने के लिए काफी हैं, कि स्कूल छात्रों पर बेवजह दबाव बनाकर धन वसूली का अभियान चला रहा है। बच्चे देश के मुस्तकबिल होते हैं जिस जगह शिक्षा की बात होनी चाहिए वहां धन वसूली की बात हो, इस बात से ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान समय में वर्तमान समय में इस स्कूल कितना असंवेदनशील व्यवहार अपने छात्रों के साथ कर रहे हैं।

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