उत्तर प्रदेश में गुंडागर्दी चरम पर है। हाल में ही जवाहर बाग हिंसा में दो पुलिस अधिकारियों की मौत के बाद प्रदेश की जनता में रोष व्याप्त था कि बुधवार को बदायूं में बेखौफ बदमाशों ने दबिश के दौरान पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। जिसमें गोली लगने के बाद सब इंस्पेक्टर सर्वेश यादव की मौत हो गई, जबकि एक कॉन्सेटबल गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना को अंजाम देने वाले दो हमलावर फरार हो गए जबकि एक हमलावर को पुलिस ने दबोच लिया है।

पूरा मामला रंगदारी का बताया जा रहा है। बदायूं जेल से जमानत पर रिहा कल्लू यादव ने एक सर्राफा व्यापारी से रंगदारी मांगी, लेकिन जब व्यापारी ने इससे मना किया तो उसने उसपर गोली दाग दी। इस घटना की सूचना व्यापारी ने पुलिस को दी थी जिसके बाद पुलिस कल्लू यादव को पकड़ने विनावर थाना क्षेत्र के गांव घटबेटी पहुंची थी।

पुलिस को देखते ही कल्लू यादव और उसके साथियों ने उनपर फायर झोंक दिया और इसी दौरान गोली लगने के कारण फायरिंग में सब इंस्पेक्टर सर्वेश यादव और एक सिपाही घायल हो गए जिनको तुंरत बरेली रेफर किया गया। जहाँ डॉक्टर्स ने सब-इंस्पेक्टर सर्वेश यादव के मृतक होने की पुष्टि की जबकि सिपाही प्रमोद कुमार की हालत नाजुक बनी हुई है। पुलिस का दावा है कि दातागंज थाने के गांव पैरा का निवासी कल्लू यादव को भी इस फायरिंग में गोली लगी है।

घटना की सूचना मिलने के बाद एसएसपी सुनील सक्सेना मौके पर पहुंचे और डीआईजी आशुुतोष कुमार के आने के बाद जनपद के सभी थानों की पुलिस ने बदमाशों की तलाश में क्षेत्र में कई घंटे काम्बिंग की। भारी संख्या में पुलिस घटबेटी गांव में पहुंची और फरार बदमाशों की तलाशी अभियान चलाया।

शहीद दरोगा यूपी के एटा जिले के रहने वाले थे। इस घटना के बाद प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि जब पुलिस तंत्र ही सुरक्षित नही है तो ऐसे गुंडों और रंगदारी करने वालों से प्रदेश की जनता की रखवाली कैसे होगी। अखिलेश यादव की सपा सरकार पर एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर नकेल क्यों नहीं कसी जा रही है।

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