भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ में चीनी मिलों के गन्ना प्रबंधकों एवं अधिकारियों के लिए आयोजित 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन हो गया। गन्ना प्रबंधन एवं विकास विषय पर यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एक जुलाई को शुरू किया गया था।जिसमे फसलों की पैदावार बढ़ाने पर चर्चा की गयी।
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उत्पादन क्षमता में हुई है वृद्धि
- देश में मिठास की माँग बढ़ रही है, साथ ही हरित ऊर्जा की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है।
- इस बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए देश के अंदर ज्यादा से ज्यादा गन्ना उत्पादन करना होगा।
- चीनी मिलों में हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए इथनॉल तथा बिजली जैसे सह-उत्पादन के उत्पादन को वरीयता देने की जरुरत है।
- यही कारण है की पिछले कुछ वर्षों में कई नई चीनी मिलों की स्थापना हुई।
- साथ ही पुरानी चीनी मिलों ने भी अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है।
- सभी चीनी मिलों को क्षमता अनुरूप पेराई के लिए वर्तमान स्तर से ज्यादा गन्ने की जरूरत पड़ेगी।
- दूसरी तरफ चीनी मिलों का सुरक्षित गन्ना क्षेत्रफल घटता जा रहा है।
- ऐसी परिस्थिति में चीनी मिलों को अपने क्षमता स्तर पर संचालित करने के लिए सीमित क्षेत्रों या घटे क्षेत्रफल से ज्यादा गन्ना उत्पादन करने की जरूरत पड़ेगी।
- यह सिर्फ गन्ना खेती के आधुनिक एवं वैज्ञानिक तकनीक से ही संभव है।
- संस्थान द्वारा कई तकनीकों का विकास किया गया है। जिसे किसानों तक पहुंचाना आवश्यक है।
- इसके लिए गन्ना प्रबंधकों एवं अधिकारियों को संस्थान के तकनीकों में दक्ष बनाना महत्वपूर्ण है।
- ताकि वे अधिक से अधिक किसानों को वैज्ञानिक विधि से गन्ना खेती करने के लिए प्रेरित एवं प्रशिक्षित कर सके।
- ये जानकारी मुख्य अतिथि बीसवाँ चीनी मिल के मुख्य अधिशासी आर.सी. सिंघल ने दी।
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इन विषयों पर हुई चर्चा
- प्रजाति नियोजन, बुवाई विधि,सिंचाई प्रबंधन, पोषक प्रबंधन
- खर पतवार प्रबंधन, नाशी कीटों एवं उनका समेकित प्रबंधन
- बीमारी एवं रोकथाम, जलवायु परिवर्तन, मृदा स्वास्थ प्रबंधन तकनीक
- कटाई उपरान्त प्रबंधन, सहफ़सली खेती, सूचना प्रबंधन प्रणाली
- गन्ना खेती में प्रयुक्त होने वाले नवीनतम कृषि रसायन।
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