अयोध्या :श्रीराम जन्मभूमि मंदिर से जुड़ी इतिहास की सच्चाइयों को सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया ।

भारत सरकार ने न्यायालय के निर्देश पर श्रीराम जन्मभूमि के लिए “ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र” नाम से ट्रस्ट गठित किया ।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने 5 अगस्त को अयोध्या में पूजन करके मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को गति प्रदान की है ।

आप इन तथ्यों से परिचित हैं ।।

मंदिर के वास्तु का दायित्व अहमदाबाद के चंद्रकान्त सोमपुरा जी पर है ।वे वर्ष १९८६ से जन्मभूमि मन्दिर निर्माण की देखभाल कर रहे हैं ।

”लार्सन टुब्रो कम्पनी “ को मंदिर निर्माण का कार्य दिया है, निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने “टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स “ को चुना है ।

संपूर्ण मंदिर पत्थरों से बनेगा । मन्दिर तीन मंज़िला होगा ।

प्रत्येक मंज़िल की ऊँचाई 20 फ़ीट होगी, मंदिर की लंबाई 360 फ़ीट तथा चौड़ाई 235 फ़ीट है , भूतल से 16.5 फ़ीट ऊँचा मंदिर का फ़र्श बनेगा, भूतल से गर्भ गृह के शिखर की ऊँचाई 161 फीट होगी ।

धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण तथा भविष्य के सम्भावित भूकम्प के प्रभाव का अध्ययन हुआ है ।

ज़मीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पायी गयी है , गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है ।

इस भौगोलिक परिस्तिथि में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मन्दिर का भार सहन कर सकने वाली मज़बूत व टिकाऊ नींव की ड्राइंग पर आई आई टी बंबई, आई आई टी दिल्ली ,आई आई टी चेन्नई , आई आई टी गुवाहाटी ,केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की , लार्सन टूब्रो व टाटा के इंजीनियर आपस में परामर्श कर रहे हैं ।

बहुत शीघ्र नीव का प्रारूप तैय्यार होकर नीव निर्माण कार्य प्रारम्भ होगा । भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है ।

देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की एतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिये देश के प्रत्येक कोने में घर घर जाकर संपर्क करेंगे, अरुणाचल प्रदेश , नागालैंड , अंडमान निकोबार , रणकच्छ , त्रिपुरा सभी कोनों पर जाएँगे, समाज को राम जन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य दिया जाएगा, देश में गहराई तक इच्छा है कि भगवान की जन्मभूमि पर मंदिर बने ।

जिसप्रकार जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिये लाखों भक्तों ने कष्ट सहे , सतत सक्रिय रहे , सहयोग किया , उसी प्रकार करोड़ों लोगों के स्वैच्छिक सहयोग से मन्दिर बने ।।

स्वाभाविक है जब जनसंपर्क होगा लाखों कार्यकर्ता गाँव और मोहल्लों में जाएँगे तो समाज स्वेच्छा से कुछ न कुछ निधि समर्पण करेगा ।

भगवान का काम है, मन्दिर भगवान का घर है , भगवान के कार्य में धन बाधा नहीं हो सकता , समाज का समर्पण कार्यकर्ता स्वीकार करेंगे , आर्थिक विषय में पारदर्शिता बहुत आवश्यक है , पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमने दस रुपया , सौ रुपया , एक हज़ार रुपया के कूपन व रसीदें छापी हैं ।

समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन या रसीद देंगे । करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुँचेगा ।

जनसंपर्क का यह कार्य मकर संक्रांति से प्रारंभ करेंगे और माघ पूर्णिमा तक पूर्ण होगा।लाखों रामभक्त इस ऐतिहासिक अभियान के लिये अपना पूर्ण समय समर्पित करें ।

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