सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में पटाखों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने साफ कहा है कि अगर इनका पालन नहीं होता है तो इसे सीधे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा। इस मामले की सुनवाई कर रहे जज जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला 28 अगस्त को सुरक्षित रख लिया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने देशभर में पटाखों की बिक्री पर बैन का विरोध किया था। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-पटाखों के उत्पादन को लेकर नियम बनाना बेहतर कदम है। एल्युमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री का इस्तेमाल रोकना सही होगा।
तमिलनाडु सरकार, पटाखा उत्पादकों और विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- बिना किसी ठोस वैज्ञानिक रिसर्च के कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में पटाखों की बिक्री रोक दी थी। इससे लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ। प्रदूषण के लिए पटाखों से ज्यादा कई अन्य चीजें जिम्मेदार हैं। इस मामले में पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा था ‘क्या हमें समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और प्रदूषण में योगदान देने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगाना चाहिए या अस्थायी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और केवल पटाखों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए?’ सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी गौर किया कि वायु प्रदूषण शिशुओं के लिए बेहद खतरनाक है और जहरीले पटाखे जलाए जाने से हवा की विषाक्तता बढ़ जाती है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]केवल हिंदू त्योहारों पर ही याचिकाएं क्यों?[/penci_blockquote]
सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद यह बहस छिड गई है जिसमे यह आदेश दिया गया है कि पटाखो की बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा। लोगों को पटाखे जलाने से नहीं रोका जा रहा है लेकिन उनकी बिक्री इन इलाको में नहीं होगी। इसके बाद से यह बहस छिड गई है कि आखिर हिंदुओ के त्यौहारो पर ही सारी याचिकाए क्यों दाखिल की जा रही है और क्यों हिंदुओ के त्यौहारो पर ही अदालत बार बार प्रतिबंध लगा रहा है। दीपावली से ज्यादा प्रदूषण तो बकरीद में होता है जिसमे लाखों पशुओं की बलि दी जाती है। खून नालियों-सड़कों से होता हुआ नदियों मिलता है और जल प्रदूषण होता है। मवेशियो का वेस्ट भी बहुत हानिकारक है लेकिन उस पर बहस नहीं होती है।प्रतिबंध कभी जलीकट्टू पर तो कभी दही हांडी फोडने पर लगाया जाता है। अब दीपावली मे पटाखो पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्षेत्र का इंस्पेक्टर होगा कोर्ट की अवमानना का दोषी [/penci_blockquote]
सुप्रीम कोर्ट ने कम एमिशन (कम प्रदूषण फैलाने वाले) पटाखों को ही बेचने और जलाने की इजाजत दी है। सिर्फ लाइसेंसधारी वाले ही पटाखे बेचे जा सकेंगे। इसके साथ ही ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगाई गई है। कोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन बेचने पर अवमानना माना जाएगा। पटाखों की बिक्री से जुड़े ये निर्देश सभी त्योहारों तथा शादियों पर भी लागू होंगे। दीवाली के अवसर पर पटाखे रात को 8 बजे से 10 बजे के बीच ही चलाए जा सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह समयसीमा पूरे देश पर लागू होगी। इस आदेश पर अमल करने के लिए हर इलाके का SHO जवाबदेह होगा। अगर आदेश का पालन नहीं हुआ, तो SHO को निजी तौर पर कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा। त्यौहार और शादियों में रात 8 बजे से 10 बजे तक पटाखों की इजाजत दी गई है। क्रिसमिस और नए साल पर रात में 11.55 से 12:30 तक ही पटाखे जलाए जा सकते हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्यों उचित है प्रतिबंध[/penci_blockquote]
पटाखो में नाईट्रोडाई आक्साईड और सल्फरडाई आक्साईड होता है जो सांस के साथ फेफडो की नली और रक्त में पहुच जाता है जिससे अस्थमा के मरीजो को परेशानी होती है। पटाखो के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है पहले से बीमार मरीज को मानसिक तकलीफ हो सकती है। कई बार व्यक्ति विक्षिप्त होने लगता है। कई बुजुर्गो में पटाखो के शोर और धुए से उच्चरक्त चाप, घबराहट औऱ बेचैनी की समस्या हो जाती है। हर साल पटाखो से बहुत सी दुर्घटनाए हो जाती है। लोग लापरवाही की वजह से जल जाते है। विस्फोट से घायल हो जाते है। अस्पतालो मे विशेष इंतजाम किये जाते है। पटाखा फैक्ट्रियो में काम करने वालो की स्थिति भी अच्छी नहीं होती है।खरतनाक रसायन यहा काम करने वाले मजदूरो और बच्चों को बीमार बनाते है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्यों नहीं उचित है प्रतिबंध[/penci_blockquote]
दीपावली हिंदुओ और हिंदुओ से जुडे दूसरे पंथ के मानने वालो का बहुत बडा त्यौहार है। पटाखा जलाना परंपरा का हिस्सा है। इस पर रोक से धार्मिक भावनाए आहत होती है। बच्चे हो या बडे दोनो के लिये दीवाली मे पटाखो का विशेष महत्व है। रंग बिरंगे पटाखो से दीवाली का उत्साह दोगुना हो जाता है। सरकार चाहे तो पटाखो के कारोबार को नियंत्रित कर सकती है। जैसे कम ध्वनि और कम धुए वाले पटाखो के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा सकता है। कारोबारियो को विशेष सुविधाएँ दी जा सकती है और सरकार कम प्रदूषण वाले पटाखो के कारोबार को प्रोत्साहित कर सकती है। पटाखे का बाजार बहुत बड़ा है। हजारों लोग इस कारोबार से जुडे हुये हैं। फैक्ट्री लेकर थोक और फुटकर व्यापारियो की इससे रोजी रोटी चलती है।
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