2019 के आगामी लोकसभा चुनावों के पहले सभी पार्टियों के लिए गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव सीएम योगी के लिए परीक्षा माना जा रहा है। ख़ास तौर पर गोरखपुर सीट पर अपनी सफलता को दोहराना सीएम योगी के लिए काफी चुनौती भरा होने वाला है। 11 मार्च को इन सीटों पर चुनाव पर मतदान होंगे जबकि 14 को गिनती का काम होगा। हालाँकि दोनों ही सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी के नाम का खुलासा नहीं किया है। इस बीच गोरखपुर सीट पर सीएम योगी के करीबी एक स्वामी ने नाम की काफी चर्चाएँ चल रही हैं।

दूसरी बार हो रहा गोरखपुर में उपचुनाव :

गोरखपुर की लोकसभा सीट पर दूसरी बार बार उपचुनाव का मौका आया है। पहली बार 1970 में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ के निधन के वजह से यहां उपचुनाव कराना पड़ा था। अबकी बार लोकसभा सीट से सीएम योगी के इस्तीफे के कारण ये मौका आया है। योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद लोकसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे चुके हैं। इस सीट पर होने वाला चुनाव भाजपा के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है। इसके पहले योगी आदित्यनाथ इस सीट से लगातार चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन अब उनकी अनुपस्थिति में विपक्षी दल कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

स्वामी चिन्मयानन्द हो सकते हैं प्रत्याशी :

गोरखपुर सीट पर संतों के प्रभाव को देखते हुए भाजपा किसी संत पर दांव लगाने की तैयारी में है। इस चर्चा में सीएम योगी के करीबी पूर्व सांसद स्वामी चिन्मयानंद का नाम सबसे आगे चल रहा है। इसका एक कारण है कि उनकी गोरखपुर मंदिर और योगी आदित्यनाथ से काफी करीबी मानी जाती है। बीजेपी में भी उनकी खासी पैठ है। ऐसे में आंकड़ों को देखते हुए, अगर वे गोरखपुर सीट से भाजपा उम्मीदवार बनते हैं तो किसी प्रकार का विरोध नहीं होना चाहिए। हालाँकि अभी बॉल भाजपा के पाले में है और अब उसे ही प्रत्याशी की घोषणा कर तमाम अटकलों पर विराम लगाना है।

 

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