दादरी में मारे गए अख़लाक़ के घर बीफ पका था या मटन इस बात की चर्चा देश में एक बार फिर से शुरू हो गयी है। वहीँ एक जानकारी के मुताबिक, सिर्फ अकेले मई महीने में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में करीब 3 लाख पशुओं ने सूखे के कारण दम तोड़ दिया।
पशु प्रेम सिर्फ राजनीति का विषय:
- एनजीओ स्वराज अभियान के समाजसेवी योगेन्द्र यादव ने इस बात की पुष्टि की है कि, करीब 3 लाख पशु बुंदेलखंड में सूखे के कारण दम तोड़ चुके हैं।
- देश में पशुओं की स्थिति समुदाय बंटे हुए हैं। पशु प्रेम के तमगे के साथ भारतीय जनता पार्टी का पशु प्रेम सिर्फ ख़बरों और बहस में ही दिखाई देता है।
- उत्तराखंड में शक्तिमान के मरने पर मीडिया और कांग्रेस ने इस मुद्दे को बहुत उछाला था, लेकिन सूखे के कारण मरने वाले जानवर शायद उस सहानुभूति के हक़दार नहीं हैं।
- भाजपा से यह मुद्दा उठाने पर वो सूबे की मौजूदा समाजवादी सरकार को बुंदेलखंड की इस बर्बादी का जिम्मेदार मानती है।
- भाजपा प्रदेश के स्पोकपर्सन चन्द्र मोहन ने कहा कि, ये समाजवादियों की जिद थी जब हमने मदद के लिए वाटर ट्रेन भेजी थी, जिसे सपा सरकार ने लेने से मना कर दिया था।
- उन्होंने ये भी कहा कि, समाजवादी सरकार में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है।
- उन्होंने ये भी बताया कि, बुंदेलखंड क्षेत्र से हमारे जितने भी सांसद हैं, उन सभी ने अपनी सांसद निधि को बुंदेलखंड में सूखे की स्थिति से निपटने में व्यय किया है।
- एनजीओ की जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आने वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में करीब 11,065 गांव हैं, जिसमे मई महीने में प्रत्येक गांव में करीब 10 से 100 पशुओं के मरने का आंकड़ा है।
- जिसके हिसाब से मई महीने में यह संख्या करीब 3 लाख पहुँच गयी है।
- ये एक विडंबना ही है कि, देश में पशु प्रेम सभी राजनैतिक दलों के लिए सिर्फ राजनीति का एक विषय है।