पंचकर्म आयुर्वेद की उत्कृष्ट चिकित्सा विधि है। जिसका इलाज अब उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में ही उपलब्ध है। डीडीपुरम स्थित स्वरूप क्लीनिक में स्वरूप संस्थान की प्रमुख डॉ. नीतू स्वरूप बी.ए.एम.एस एम.डी ने आयुर्वेद उपचार के बारे में बताते हुए कहा कि पंचकर्म द्वारा इलाज करवाने के लिए काफी लोग दक्षिण भारत जाते हैं। मगर अब सबको यहीं पर इलाज मिलेगा.
स्वरूप क्लीनिक पर 20 से लेकर 29 अक्टूबर तक विशेष वर्क शॉप:
बता दें कि बरेली जिले के स्वरूप क्लीनिक पर 20 से लेकर 29 अक्टूबर तक विशेष वर्क शॉप का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें यूपी और उत्तराखंड के कई डॉक्टर शामिल होंगे.
उन्होंने बताया कि हमारे यहां पंचकर्म प्रेक्टिशनर केरल से ही आते हैं। केरल की ये आयुर्वेदिक पद्धति अब सिर्फ दक्षिण में ही नहीं, हर जगह मशहूर हो रही है।
डॉ. नीतू ने बताया कि स्वरुप क्लीनिक में इलाज के लिए आने वाले मरीज़ों में सभी वर्गों के लोग काफी संख्या में शामिल हैं।
आयुर्वेद है विशिष्ट चिकित्सा पद्धति:
उन्होंने कहा, वैसे तो पंचकर्म पद्धति में पांच कर्म शामिल होते हैं, लेकिन अब केवल चार कर्मो का ही इस्तेमाल होता है।
इसमें वमन, विरेचन, वस्ति और नस्य शामिल हैं। वहीं रक्तमोक्षण का इस्तेमाल अब नहीं होता।
इसके अलावा पूर्व कर्म में मसाज, स्टीम बाथ, कटि-स्नान, फुट मसाज, फेशियल एंड फेस पैक और वेट लॉस पैकेज का प्रयोग करते हैं।
इस प्रक्रिया का उपयोग मुख्यत: वात, पित्त, कफ त्रिदोषों को संतुलन में लाने के लिए किया जाता है।
पंचकर्म को आयुर्वेद की विशिष्ट चिकित्सा पद्धति कहते है।
आयुर्वेद के अनुसार, चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं- शोधन चिकित्सा एवं शमन चिकित्सा।
जिन रोगों से मुक्ति औषधियों द्वारा संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर से बाहर कर देने की पद्धति शोधन कहलाती है।