प्रदेश स्तर पर स्वेटर खरीद में असफल रही राज्य सरकार अब स्कूल स्तर पर स्वेटर खरीदेगी। यूनिफार्म की तर्ज पर अब स्वेटर भी खरीदे जाएंगे और एक महीने के अंदर ही बांट दिए जाएंगे। छह जनवरी से स्वेटर वितरण की प्रक्रिया शुरू की जानी है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव राज प्रताप ने आदेश जारी कर दिया है।
1.54 करोड़ बच्चों को स्वेटर देने की तैयारी कर रही है सरकार
राज्य सरकार पहली बार सरकारी प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में पढ़ रहे 1.54 करोड़ बच्चों को स्वेटर देने की तैयारी की कर रही है। स्वेटर खरीदने के लिए विभाग से चार सदस्यीय कमेटी बनेगी। इसमें विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) का अध्यक्ष, स्कूल के प्रधानाचार्य के अलावा एसएमसी के दो ऐसे सदस्य होंगे, जो ग्राम पंचायत और पूरी एसएमसी द्वारा नामित किए गए हो। बता दें कि 20 हजार से एक लाख रुपये तक की खरीद के लिए कोटेशन प्राप्त किए जाएंगे जबकि एक लाख रुपये की ज्यादा की खरीद पर टेण्डर निकाला जाएगा।
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200 रुपये तक का मेहरून रंग का स्वेटर चार साइजों में खरीदा जाना है। क्रय समिति बच्चों की संख्या और नाप तय करेगी। कोटेशन के समय ही सैम्पल लेकर स्कूल में सुरक्षित रखा जाएगा। स्वेटर वितरित करते समय जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी रहनी चाहिए। मॉनिटरिंग के लिए डीएम की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
स्वेटर खरीद में गड़बड़ी होने पर जिम्मेदार के खिलाफ होगी कार्रवाई
स्वेटर खरीद में यदि खण्ड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) की संलिप्तता पाई गई ,तो इसे कदाचार की श्रेणी में माना जाएगा और अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए रिकवरी की जाएगी। बीईओ ये सत्यापित करेंगे कि सभी भुगतान एकाउंट पेई चेक से किए गए। यदि स्वेटर की गुणवत्ता खराब हुई या फर्जी संख्या दर्शाकर अधिक स्वेटर खरीद दिखाई गई तो संबंधित एसएमसी के अध्यक्ष व प्रधानाचार्य के खिलाफ कार्रवाई करते हुए रिकवरी की जाएगी।
राज्य सरकार बीते दो महीने से प्रदेश स्तर पर स्वेटर खरीद की कोशिश कर रही है। लेकिन लगातार असफल रही। सूत्रों के मुताबिक, जिस तरह किताब छपाई में दुर्भावनापूर्ण गुटबाजी करके प्रकाशन में देरी करवाई जाती है उसी तरह स्वेटर खरीद में भी फर्मों ने किया। पहली बार आई फर्मों ने स्वेटर के दाम 245 कोट किए, लेकिन 5-10 जिलों में ही सप्लाई के लिए हामी भरी जबकि टेण्डर पूरे प्रदेश का था। वहीं दूसरे टेण्डर में आई फर्मों ने 345 रुपये का दाम दिया जो आकलन से कहीं ज्यादा था। इन फर्मों ने दाम कम करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो राज्य सरकार ने इनके सामने न झुकते हुए स्कूल स्तर पर ही खरीद करने का निर्णय लिया है।