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तन्वी पासपोर्ट प्रकरण में नियमों को क्यों किया गया दरकिनार?

Tanvi passport case rules were kept aside many question raised

Tanvi passport case rules were kept aside many question raised

19 जून 2018 से उठे इस तन्वी और अनस सिद्दीकी के पासपोर्ट प्रकरण में सवालों के ऊपर सवाल आते ही जा रहे हैं, मगर कोई सीधा और समझने वाला जवाब कहीं से नही मिल रहा। तन्वी सेठ पासपोर्ट प्रकरण में कई ऐसे छोटे छोटे सवाल हैं, जिनको अगर देखा जाए तो तन्वी और अनस को पासपोर्ट कभी दिया ही नही जा सकता था।

कुछ विवादित सवाल:

लेकिन नियमों को ताक पर रख कर RPO पीयूष वर्मा ने सभी कानूनों को धीरे धीरे बदलना शुरू कर दिया। अफवाहों का दौर भी बहुत तेजी के साथ फ़ैल रहा है, जिसमें बहुत से सवाल सामने खड़े हो रहे हैं।

फिर हमारी टीम ने सही तथ्यों को खोजने के लिए कई विशेषज्ञों की राय ली. साथ ही कई नियमों को जानने के लिए पासपोर्ट सर्विस रूल्स को पढ़ा, जिसमें पासपोर्ट से जुड़े हुए सभी नियम कानून है.

उसके बाद इस मामले में ऐसे कई सवाल उठे जिनका जवाब RPO को देना चाहिए। साथ ही अफवाहों के दौर में एसएसपी दीपक कुमार पर भी इल्जाम लगाये जा रहे हैं कि उन्होंने तन्वी सेठ पासपोर्ट प्रकरण में आवेदक की प्राइवेट जानकारियों को सार्वजनिक किया है, तो इन सभी सवालों पर uttarpradesh.org की टीम ने कुछ तथों को खोज निकाला है।

तन्वी सेठ पासपोर्ट प्रकरण: आखिर क्यों न उठें सवाल?

गोपनीय रिपोर्ट क्यों की गयी सार्वजनिक:

1- पहला सवाल उठता है कि एलआईयू ने तन्वी सेठ के सभी कागजों और एड्रेस की जांच के बाद रिपोर्ट डीएम को सौंपने की बजाए प्रेस वार्ता करते हुए एसएसपी दीपक कुमार ने तन्वी सेठ के पासपोर्ट जांच की रिपोर्ट जिसमें ये उल्लेखित था कि तन्वी और अनस फ़ार्म पर लिखे पते पर रहते ही नहीं हैं, क्यों मीडिया में सार्वजनिक की? जबकि नियमों के मुताबिक़ आवेदक के एड्रेस और फॉर्म को गुप्त रखा जाता है. किसी को नही बताया जाता है?

जब हमारी टीम ने इस मामले में जांच की तो पाया कि तन्वी सेठ का पासपोर्ट मामला बहुत बड़ा था. क्योंकि इसकी जाँच लखनऊ पुलिस को दी गई थी कि वो LIU की रिपोर्ट की जाँच कर उसपर संज्ञान ले और मामले को समझ कर पूरा विवरण सामने लायें.

इस बात लखनऊ पुलिस ने सोशल मीडिया का ज्वलंत मुद्दा बने वाले इस प्रकरण को लोगों के बीच रख इससे सबको अवगत करवाना सही समझा.

एसएसपी दीपक कुमार ने एक प्रेस वार्ता बुलाई और कहा कि तन्वी सेठ और अनस सिद्दीकी ने घर के पते को लेकर दी जानकारी गलत हैं.  क्योंकि वो अपने बताए गए पते पर मिले ही नहीं और न हीं वहां सैलून से रहे हैं.

इतना ही नहीं सूत्रों के मुताबिक़ लखनऊ पुलिस ने तन्वी और अनस सिद्दीकी के नंबर की CDR भी निकलवाई है, जिसमें इनकी लोकेशन लखनऊ की नहीं बल्कि नॉयडा की पाई गयी हैं.

इस आधार पर नियम की बात करें तो कानून ये भी कहता है कि आवेदक का कोई भी एड्रेस चाहे वो स्थाई हो या अस्थाई हो, मैच करे तो पासपोर्ट बन जाना चाहिए.

जानिए कैसे उठा तन्वी सेठ पासपोर्ट का पूरा विवाद

नियमों के विरुद्ध विकास मिश्रा ने क्यों दिया मीडिया में बयान:

2- विदेश मंत्रालय एक योग्य विभाग है. भारतीय नियमों के मुताबिक़ सर्विस रूल एक्ट कहता है कि RPO और ARPO के अलावा कोई भी अधिकारी किसी भी मीडिया प्लेटफार्म पर जा कर बयान बाज़ी नहीं कर सकता, तो क्यों विकास मिश्रा ने अपने बचाव में मीडिया से बात करी?

इस सवाल पर हमारे सूत्रों की माने तो इस प्रकरण में विकास मिश्रा का पक्ष और प्रतिक्रिया जानने के लिए मीडिया का जमावड़ा पासपोर्ट कार्यालय में लगा रहता था, उस दौरान पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा सभी सवालों से बचते नज़र आए।

लेकिन सूत्रों के मुताबिक़ पासपोर्ट दफ्तर में मीडिया को RPO ने बुलवाया था और पूरा मीडिया लाइव कवरेज में जुटा हुआ था। सभी विकास की प्रतिक्रिया जानना चाह रहे थे. मगर विकास अपना मुंह छिपाते वहां से निकलना चाहते थे. क्योंकि उन्हें मालूम था कि उन्हें मीडिया में कोई भी बात नहीं कहनी है. वो इसके लिए लायक नहीं है.

लेकिन जब सभी ने उन्हें घेर लिया और फालतू के बयान बोलने लगे तो विकास ने मीडिया को जवाब देना शुरू किया और कहा कि उनका किसी के साथ कोई झगड़ा नहीं है, ना ही किसी से अभद्र व्यवहार किया है।

नियम के मुताबिक़ इस पूरे प्रकरण में RPO और ARPO के अलावा कोई भी अधिकारी मीडिया से बात नहीं कर सकता था. ऐसा उनके सर्विस रूल में उल्लेखित है और इसकी जानकारी उनको ट्रेनिंग में भी दी जाती है।

जांच से पहले विकास का ट्रान्सफर क्यों:

3 -तीसरा सवाल ये बनता है कि पासपोर्ट कानून के अनुसार तन्वी सेठ का जो प्रकरण था उसमें अधिकारी विकास मिश्रा को हटाने से पहले उनपर एक विभागीय जांच बैठानी चाहिए थी, ताकि मामले की तह तक जाया जा सके. मगर RPO ने बिना किसी विभागीय जांच के पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा का ट्रान्सफर गोरखपुर कैसे कर दिया?

बता दें कि ऐसे मामलों में पासपोर्ट रूल ये भी कहता है कि अभियुक्त को बर्खास्त करना चाहिए या तो सस्पेंड करना चाहिए लेकिन RPO ने न ही सस्पेंड किया और ना कि बर्खास्त किया. बस ट्रांसफर पर गोरखपुर भेज दिया गया।

इस पर हमारे जानकारों ने बताया की विकास मिश्रा पर कोई भी विभागीय जांच नहीं बिठाई गई थी, मामले के तुरंत बाद RPO ने तन्वी को पासपोर्ट दे दिया लेकिन किसी से कोई रिसीविंग नहीं ली।

जबकि नियमानुसार अगर पासपोर्ट अधिकारी किसी को पासपोर्ट देता है तो उससे रिसीविंग लेना अनिवार्य होता है, मगर पासपोर्ट अधिकारी पियूष वर्मा ने ऐसा कुछ नहीं किया और तन्वी सेठ को पासपोर्ट सौंप कर विकास मिश्र का तबादला गोरखपुर कर दिया, जो सरासर नियमों की धज्जियाँ उडाता है.

गोपनीय फ़ार्म की जानकारी क्यों की गयी सार्वजनिक:

4- पासपोर्ट फॉर्म बहुत की कॉन्फिडेंशियल होता है जो फॉर्म पर भी लिखा होता कि इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती है, मगर एसएसपी लखनऊ ने ये जानकारी सार्वजनिक कर दी, साथ ही RPO नें क्यों मीडिया को उनका फॉर्म और LIU रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों कर दिया जबकि ये नियमों के खिलाफ है?

इस सवाल पर हमारे जानकारों ने हमें बताया कि यदि पासपोर्ट में कोई ऐसा मामला आता है, जिसमें मामला फ्रोड से सम्बन्धित होता है तो उसमें एसएसपी लखनऊ सभी जानकारी को सार्वजनिक कर सकते हैं और सच्ची बातों को समाज और मीडिया में बता सकते हैं। ऐसे मामलों में किसी भी बात को सार्वजनिक करना कोई गलत बात नहीं है.

निकाह नामा लीगल दस्तावेज ना होने पर भी क्यों माँगा गया:

5 – मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पिछले तकरीबन 20 सालों से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दे रहा है कि निकाह नामा को लीगल डॉक्यूमेंट बना दीजिए, लेकिन अभी तक जब ये आदेश कानून या पासपोर्ट अधिनियम में मान्य ही नहीं है, तो पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा ने निकाह नामा क्यों मांग लिया, जब कि वो लीगल डॉक्यूमेंट है ही नहीं?

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि मैरिज सर्टिफिकेट को पासपोर्ट में कोई आवेदक लगाए ये ज़रूरी नहीं है। तो फिर क्यों निकाह नामा पासपोर्ट अधिकारी ने मांगा?

इस पर हमारे जानकारों ने बताया कि जब भी कोई ऐसा केस आता है जब कोई मैरिज सर्टिफिकेट या नाम जगह का मामला या जानकारी गलत लगती है तो उसे किसी उच्च अधिकारी को भेज दिया जाता है. ताकि उस मामले को वो उच्च अधिकारी अपने हिसाब से मैनेज कर सके या गलत जानकारी के लिए उनसे जवाब मांग सके।

पासपोर्ट प्रकरण: अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छूट संसारपुर चौकी पहुंचा प्रत्यक्षदर्शी

लेकिन तन्वी सेठ प्रकरण में विकास पर ये इल्जाम लगाया गया कि उन्होंने तन्वी सेठ से निकाह नामा माँगा जबकि इस मामले में uttarpradesh.org द्वारा सबसे पहले सामने लाये गये प्रत्यक्षदर्शी कुलदीप सिंह ने बताया कि विकास मिश्रा ने ऐसा कोई निकाह नामा तन्वी से नहीं माँगा बल्कि सीधा उनका फॉर्म उच्च अधिकारी को फॉरवर्ड कर दिया, ताकि वो इस मामले में संज्ञान लेकर उचित कार्यवाई करवा सकें।

सोशल मीडिया में ऐसे कई ऐसे सवाल उठाये जा रहे है, जिनमे RPO और एसएसपी लखनऊ ऐसे कई सवालों से घिरे हैं. इन लोगों ने कानून से हट कर तन्वी और अनस सिद्दीकी की प्राइवेट जानकारी को सार्वजनिक किया है.

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