नया सत्र शुरू हो चुका है. लेकिन मथुरा में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले के कारण मथुरा के कई सरकारी स्कूलों में छात्रों की पढ़ाई नहीं हो पा रही हैं. इस घोटाले के चलते स्कूलों में शिक्षकों की कमी चल रही है. जिससे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई पर असर देखने को मिल रहा है. हालत इतने बद्दतर है कि स्कूलों में 3 अलग अलग क्लासेज को पढ़ाने के लिए एक ही शिक्षक मौजूद हैं.
शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूल:
किसी भी सरकारी व गैर सरकारी नियुक्तियों में धांधली आम बात है. लेकिन उस घोटाले के बाद सबसे ज्यादा अगर कोई प्रभावित होता है तो वो आम जनता है. वहीं अगर घोटाला शिक्षकों की भर्ती का हो तो देश के भविष्य यानी की स्कूली बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ होता हैं.
इन दिनों इसी खिलवाड़ से मथुरा के स्कूली बच्चे जूझ रहे हैं. कारण, मथुरा में बड़े पैमाने पर हुआ शिक्षक भर्ती घोटाला.
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मथुरा में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले की जानकारी किसको नहीं होगी. इस घोटाले के संज्ञान में आने के बाद भले ही फर्जी शिक्षकों पर क़ानूनी कार्रवाई और जाँच बैठ गयी हो लेकिन उन मासूम नौनिहालों का इस घोटाले में सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. मथुरा के सरकारी स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं. आलम ये है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं.
3 कक्षाओं में 1 अध्यापिका:
ऐसा ही एक मामला सामने आया जिले के राया विकासखंड के पूर्व माध्यमिक विद्यालय गढ़ी हरिया का. इस स्कूल में 3 कक्षाएं हैं. तीन कक्षाओं में कुल 50 बच्चे हैं. इन तीनों कक्षाओं के छात्रों को पढ़ाने के लिए स्कूल में मात्र एक अध्यापिका तैनात हैं।
अब आप खुद अंदाजा लगा सकते है कि ऐसे में बच्चों की पढाई कैसे होती होगी. ऐसे में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पा रही है. वही स्कूल में प्रधानाध्यापक ना होने के चलते उस एक मात्र अध्यापिका को ही कागजी कार्रवाई व मीटिंग के लिए जाना पड़ता है. जिसकी वजह से अध्यापिका को मजबूरन बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है. इससे साफ़ है कि छात्रों की शिक्षा पर बेहद खराब प्रभाव पड़ रहा है.
कार्यरत शिक्षकों पर बोझ:
वहीं शिक्षक कि कमी से परेशानी का सामना केवल छात्रों को नहीं करना पड़ रहा बल्कि कार्यरत शिक्षकों पर भी दबाव पड़ रहा है. उन्हें एक साथ कई क्लास के बच्चों को पढ़ाना पड़ता है. इससे न केवल उनके काम का बोझ बढ़ता है बल्कि जिस छात्रों को पढ़ाने का स्तर भी गिरता है. शिक्षक उस मेहनत और गुणवत्ता के साथ छात्रों को शिक्षा नहीं दे पा रहे. इसके अलावा प्रधानाध्यापक न होने के चलते कागजी काम भी खुद ही करने पड़ते हैं.
शिक्षकों की कमी से अन्य समस्याएं:
मथुरा मे हुए शिक्षक भर्ती घोटाले के कारण स्कूलों की कार्यप्रणाली पर भी गहरा असर पड़ा है. एक तो शिक्षकों की कमी, दूसरा कार्यरत शिक्षकों के पास इतना अधिक काम होता है कि वे स्कूल में छात्रों की मुलभूत जरूरतों पर ध्यान देने में भी असक्षम है. प्रधानाध्यापकों की भी कमी है जिसके कारण न तो स्कूलों में छात्राओं के लिये शौचालयों की उचित व्यवस्था पर ध्यान दिया जाता है और न ही साफ़ सफाई पर.
ऐसे में छात्राओं का शिक्षा और स्कूलों से मन भटकना भी लाज़मी हैं. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन शिक्षकों की पुनः नियुक्ति को जल्द करवाने की दिशा मे शिथिल नाहर आ रहे हैं.
बता दें कि मथुरा में 265 सहायक अध्यापकों की भर्ती हुई थी जिसमें से 107 फर्जी भर्ती कर ली गईं। इस मामलें के संज्ञान में आने के बाद फर्जी दस्तावेजों के जरिए भर्ती हुए शिक्षकों को सरकार ने निलंबित कर दिया लेकिन नई नियुक्तियों को लेकर अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाया.